इंडियन इंक्लूसिव पार्टी के नेता आई. पी गुप्ता ने पटना के गांधी मैदान में पान समाज की रैली में बटोरी खूब सारी सुर्खिया जिसके बाद अब बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में हैं। उनकी पार्टी, इंडियन इंकलाब पार्टी, और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है, जिससे भाजपा के खेमे में चिंता बढ़ गई है।
पटना के गांधी मैदान में पान समाज की रैली आयोजित कर बिहार की सियासत में नई हलचल मचाने वाले नेता आई पी गुप्ता अब एक और दांव चलने वाले है जिसे लेलकेकर वो ये तक दावा क्र रहे है की भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की चीखें भी निकल सकती है। क्या था इंडियन इंकलाब पार्टी (अब IIP का मतलब इंडियन इन्क्लूसिव पार्टी) का लक्ष्य और अब बदले लक्ष्य के साथ कहां साध रहे हैं निशाना। जानते हैं विस्तार से।
हो रही है कांग्रेस से सांठगांठ?
आई पि गुप्ता का कहना है की ये सब राजनीति संभावनाओं का खेल है। कुछ ऐसी ही राजनीतिक संभावनाओं की आंख मिचौली कांग्रेस और आईपी गुप्ता की इंडियन इंकलाब पार्टी के बीच चल रही है, और लगातार दोनों की तरफ से प्रस्ताव पर प्रस्ताव पेश किए जा रहे हैं। एक संभावना यह है कि जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर की है। मतलब एनडीए गठबंधन में होता यह है कि जेडीयू और बीजेपी पहले अपने में आधी-आधी सीटें बांट ले और फिर दोनों दल अपने-अपने सहयोगी दल के बीच सीटें बांट लें। एनडीए में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का जेडीयू से सांठगांठ है तो बीजेपी का लोजपा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा से।
इंडियन इंकलाब पार्टी कांग्रेस में विलय के लिए सहमत नहीं है….
इसी तर्क पर कांग्रेस और आईपी गुप्ता की पार्टी इंडियन इंकलाब पार्टी के बीच विचार विमश किया जा रहा है। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस ने मन बनाया है कि आईपी गुप्ता की पार्टी इंडियन इंकलाब पार्टी को अपनी तरफ से तीन से चार सीट देकर महागठबंधन के समर्थन में उतार सकती है। जबकि कांग्रेस का कहना है की पारी को उनके साथ मर्ज हो जाना चाहिए जिसे पार्टी को काफी बल मिलेगा और बीजेपी के वोट बैंक में भी काफी नुकसान देखा जा सकेगा, लेकिन कहा जा रहा है कि इंडियन इंकलाब पार्टी के नेता आईपी गुप्ता पार्टी के मर्जर को ले कर तैयार नहीं हैं। फिलहाल कांग्रेस की तरफ से तीन से चार सीट देने की तैयारी है। पर,आईपी गुप्ता चाहते हैं कि आबादी के अनुसार सीटें मिले। आईपी गुप्ता की इस मांग पर बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और कांग्रेस आलाकमान से बातचीत हो रही है। अभी निष्कर्ष का इंतजार किया जा रहा है।
क्या वजह हो सकती है कांग्रेस के यह प्रस्ताव रखने का ?
दरअसल, 13 अप्रैल को पटना गांधी मैदान में पान समाज और तांती तत्वा की जुटी अपार भीड़ ने न केवल कांग्रेस को चौंकाया बल्कि भाजपा भी इस भीड़ के प्रभाव से सशंकित हो गई। बीजेपी की चिंता यह है कि आईपी गुप्ता का कद बढ़ता है तो वैश्य मतों में सीधे सेंधमारी करेगी। कांग्रेस वैसे भी जातीय समीकरण को ध्यान में रख दलित, मुस्लिम और पिछड़ा अति पिछड़ा की राजनीति कर रही है। ऐसे में वैश्य भी एक बड़ा फैक्टर जुड़ सकता है जपो उनके जीत को और भी पुख्ता कर देगा। गत लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा जिस जाति को सेटबैक लगा वह था वैश्य और कुशवाहा। लोकसभा में इनका झुकाव थोड़ा सा क्या हुआ एनडीए को शाहाबाद में जीरो पर आउट होना पड़ा। कांग्रेस इन दिनों बिहार में खुद को उभारने में लगा हुआ है।
