महागठबंधन के भीतर खींचतान: कांग्रेस और VIP की बढ़ी मांग, RJD पर दबाव

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब पूरी तरह से बनना शुरू हो गया है और महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। 2020 के चुनावों में वामदलों ने सीमित सीटों पर प्रभावशाली जीत दर्ज की थी और अब उसी स्ट्राइक रेट का हवाला देकर वे इस बार ज्यादा हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं। वाम नेताओं का कहना है कि जिन इलाकों में उनकी पकड़ मजबूत है, वहां उन्हें उम्मीदवार उतारने का अवसर मिलना चाहिए।

दूसरी ओर कांग्रेस भी राहुल गांधी की हालिया सक्रियता और ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए बने माहौल का लाभ उठाकर अधिक सीटें चाहती है। पार्टी का मानना है कि बिहार में संगठन को मजबूती देने के लिए इस बार पिछली बार से ज्यादा दावेदारी जरूरी है। वहीं राजद (RJD) महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते पहले से ही बड़ी हिस्सेदारी पर दावा ठोक रही है। तेजस्वी यादव का प्रयास है कि राजद की पकड़ कमजोर न पड़े और छोटे सहयोगियों को सीमित संख्या में ही समायोजित किया जाए।

सबसे अधिक चर्चा विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और उसके नेता मुकेश साहनी की मांगों को लेकर है। पिछली बार सीमित भूमिका निभाने वाली यह पार्टी इस बार करीब 60 सीटों की दावेदारी कर रही है। VIP की पकड़ खासकर कुछ जिलों में मानी जाती है और इसी आधार पर साहनी गठबंधन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। उनकी यह रणनीति महागठबंधन के सीट समीकरण को और जटिल बना रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में तीन संभावित परिदृश्य बन सकते हैं। पहला, RJD केंद्रित मॉडल जिसमें अधिकतर सीटें राजद के पास जाएँ और कांग्रेस व वामदल सीमित हिस्सेदारी तक सिमटें। दूसरा, समझौते का मॉडल जिसमें कांग्रेस और वामदलों को अपेक्षाकृत ज्यादा सीटें मिलें और VIP को भी नियंत्रित संख्या देकर गठबंधन को एकजुट रखा जाए। तीसरा और सबसे चुनौतीपूर्ण परिदृश्य यह है कि छोटे दलों की मांगें पूरी न होने पर असंतोष गहराए और कोई दल अलग चुनाव लड़े, जिससे विपक्षी खेमे में वोटों का बंटवारा हो और NDA को सीधा फायदा मिले।

कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 में सीटों का गणित ही गठबंधन की असली चुनौती बनने जा रहा है। 2020 के अनुभव से सबक लेकर वामदल अपनी ताकत जता रहे हैं, कांग्रेस अपनी सक्रियता से हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही है, RJD अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है और VIP बड़ी मांगों से नए समीकरण खड़े कर रहा है। इस राजनीतिक खींचतान में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और मुकेश साहनी की भूमिका तय करेगी कि महागठबंधन एकजुट रहकर चुनाव में उतरेगा या आंतरिक मतभेद किसी नई दिशा की ओर ले जाएंगे।

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