भारत–जर्मनी रिश्तों में नई उड़ान: जयशंकर–जर्मन विदेश मंत्री मुलाक़ात में FTA और टेक्नोलॉजी पर सहमति

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भारत और जर्मनी के बीच सहयोग को नई दिशा देने के प्रयास तेज़ हो गए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मन विदेश मंत्री डॉ. योहान डेविड वेडेफुल के बीच नई दिल्ली में हुई मुलाक़ात में व्यापार, प्रौद्योगिकी, स्किल्ड वर्कफ़ोर्स, हरित ऊर्जा और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

इस बैठक का सबसे बड़ा फ़ोकस भारत–यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ताओं को गति देना रहा। जयशंकर ने भरोसा जताया कि जर्मनी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएगा। ऑटोमोबाइल, डेयरी, श्रम और जलवायु मानकों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में संतुलन बैठाना इस समझौते की राह आसान बनाने के लिए अहम माना जा रहा है। लक्ष्य है कि वर्ष के अंत तक ठोस प्रगति दिखाई दे।

विदेश मंत्री वेडेफुल की इस भारत यात्रा में बेंगलुरु का दौरा भी शामिल रहा, जहां उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स और हाई-टेक कंपनियों से मुलाक़ात की। बेंगलुरु विज़िट का मकसद अंतरिक्ष, सेमीकंडक्टर, क्वांटम टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी की संभावनाओं की तलाश था। ISRO के अधिकारियों से मुलाक़ात भी कार्यक्रम का हिस्सा रही।

बैठक के दौरान दोनों देशों ने कुशल पेशेवरों की गतिशीलता (Skilled Mobility) को आसान बनाने पर विशेष जोर दिया। जर्मनी ने साफ किया कि उसे आईटी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी संख्या में स्किल्ड वर्कफ़ोर्स की ज़रूरत है और भारत इसमें अहम साझेदार साबित हो सकता है। इसके लिए वीज़ा प्रक्रिया और योग्यता मान्यता को सरल बनाने पर विचार चल रहा है।

रणनीतिक दृष्टि से जर्मन विदेश मंत्रालय ने भारत को इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में “कुंजी भागीदार” करार दिया है। जर्मनी का मानना है कि भारत न सिर्फ़ सुरक्षा और स्थिरता का भरोसेमंद सहयोगी है, बल्कि सप्लाई-चेन विविधीकरण और नवाचार का भी बड़ा केंद्र है।

इस साल भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे हो रहे हैं। इसके साथ ही विज्ञान सहयोग की 50वीं और सांस्कृतिक समझौतों की लगभग 60वीं वर्षगांठ भी मनाई जा रही है। यही वजह है कि इस दौरे को दोनों देशों के रिश्तों में नई रफ्तार का प्रतीक माना जा रहा है।

बैठक में हरित ऊर्जा, विशेषकर हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज, को लेकर संयुक्त परियोजनाओं पर भी सहमति बनी। सप्लाई-चेन में भारत को ‘चाइना-प्लस-वन’ रणनीति का मजबूत विकल्प बताते हुए जर्मनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और केमिकल सेक्टर में सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया।

दोनों देशों ने क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर भी चर्चा की। आतंकवाद से लड़ाई और इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने को लेकर साझा दृष्टिकोण पर दोहराया गया।

आगे का रास्ता

वर्ष-अंत तक भारत–EU FTA वार्ताओं में प्रगति का लक्ष्य रखा गया है।

टेक्नोलॉजी और नवाचार के क्षेत्र में संयुक्त निवेश और MoU की संभावना जताई जा रही है।

कुशल पेशेवरों की गतिशीलता को आसान बनाने के लिए नई पॉलिसी स्कीमें जल्द देखने को मिल सकती हैं।

भारत-जर्मनी के बीच यह संवाद न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊंचाई देगा, बल्कि वैश्विक व्यापार और रणनीतिक परिदृश्य पर भी गहरा असर डालने वाला साबित हो सकता है।

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