उमा भारती का बयान: “POK की वापसी से ही पूरा होगा भारत का उद्देश्य”

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भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) और आतंकी घटनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत का असली मकसद तभी पूरा होगा जब POK वापस लिया जाएगा। उमा भारती ने 1994 में संसद द्वारा पारित उस सर्वसम्मत प्रस्ताव का भी उल्लेख किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि POK भारत का अभिन्न हिस्सा है और उसे वापस लाना देश की जिम्मेदारी है।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ पर प्रतिक्रिया

उमा भारती ने मई 2025 में भारतीय सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ पर भी अपनी राय रखी। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए POK और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस अभियान को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया था।

इस पर बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि जो लोग इस ऑपरेशन पर सवाल उठाते हैं, वे देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं और सशस्त्र बलों के पराक्रम को नहीं समझते। उन्होंने इसे भारत की सुरक्षा नीति का मजबूत संदेश बताया।

आतंकी हमले और भारत की जवाबी रणनीति

पहलगाम हमले के बाद देशभर में गुस्सा देखा गया था। इसी के बाद भारत ने सीमित लेकिन निर्णायक सैन्य कार्रवाई कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। इसके बाद 10 मई को दोनों देशों के DGMO स्तर पर युद्धविराम की घोषणा भी हुई। इस पूरी रणनीति को विशेषज्ञों ने भारत की ‘सटीक और प्रतिरोधक क्षमता’ का प्रदर्शन बताया।

मालेगांव विस्फोट केस पर राय

उमा भारती ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले पर भी प्रतिक्रिया दी। हाल ही में मुंबई की विशेष NIA अदालत ने सातों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। इस फैसले को लेकर उमा भारती ने कहा कि यह उन लोगों के लिए बड़ी राहत है, जिन्होंने सालों तक इस मामले में कठिनाई और अपमान सहा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि असली दोषियों को खोजकर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि न्याय पूरी तरह से हो सके।

राजनीतिक और रणनीतिक मायने

उमा भारती का बयान न केवल POK मुद्दे पर बीजेपी की परंपरागत स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि 2025 की आतंकी घटनाओं और जवाबी सैन्य अभियानों के बाद सुरक्षा एजेंडा भारतीय राजनीति के केंद्र में है। मालेगांव केस पर उनका बयान न्यायिक प्रक्रिया में लंबा इंतजार झेल चुके लोगों के लिए सहानुभूति का संकेत देता है।

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