लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों चायल से विधायक पूजा पाल चर्चा के केंद्र में हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) ने उन्हें हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था। लेकिन इसी बीच उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई हलचल मचा दी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूजा पाल अब भाजपा का दामन थामने जा रही हैं?
सपा से निष्कासन की वजह
पूजा पाल ने कुछ दिन पहले विधानसभा सत्र के दौरान योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति की सराहना करते हुए कहा था कि कानून व्यवस्था पर सख्ती और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई ने न्याय दिलाने का काम किया है। यह टिप्पणी सीधे-सीधे उनके पति और पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मामले से जुड़ी मानी गई। सपा नेतृत्व को यह बयान पार्टी लाइन से अलग लगा और अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें तत्काल पार्टी से बाहर कर दिया गया।
योगी से मुलाकात और सियासी अटकलें
सपा से निष्कासन के कुछ ही दिनों बाद पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। इस मुलाकात ने सियासी अटकलों को हवा दे दी है कि वे भाजपा में शामिल हो सकती हैं। हालांकि अभी तक न तो भाजपा की ओर से और न ही पूजा पाल की तरफ से कोई औपचारिक घोषणा की गई है, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कदम पूर्वांचल की सियासत में बड़ा बदलाव ला सकता है।
भाजपा के लिए क्यों अहम हैं पूजा पाल?
कौशांबी और प्रयागराज क्षेत्र में पूजा पाल की पकड़ मजबूत मानी जाती है। राजू पाल हत्याकांड के बाद उन्होंने अपने पति की राजनीतिक विरासत को संभाला और लगातार सक्रिय रहीं। यदि वे भाजपा में शामिल होती हैं तो पार्टी को न केवल महिला नेतृत्व बल्कि स्थानीय स्तर पर मजबूत सामाजिक समीकरण का भी फायदा मिल सकता है।
सपा की रणनीति पर सवाल
पूजा पाल का निष्कासन सपा के भीतर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी ने जल्दबाज़ी में यह कदम उठाया, जिससे भाजपा को लाभ मिल सकता है। वहीं, सपा नेतृत्व का कहना है कि पार्टी अनुशासन से समझौता नहीं किया जा सकता और विधायक का बयान पूरी तरह से एंटी-पार्टी गतिविधि था।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पूजा पाल का अगला कदम क्या होगा। अगर वे भाजपा में शामिल होती हैं तो यह प्रदेश की राजनीति में बड़ा सियासी घटनाक्रम होगा। वहीं, अगर वे स्वतंत्र रूप से सक्रिय रहती हैं तो भी यह सपा के लिए चुनौती बन सकता है।
निष्कर्ष:
पूजा पाल का सपा से निष्कासन और उसके बाद योगी आदित्यनाथ से मुलाकात, यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं। फिलहाल उनके अगले राजनीतिक कदम पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
