तेलंगाना: मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने दिल्ली में किया प्रदर्शन, BC आरक्षण बिल को मंजूरी दिलाने की मांग

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नई दिल्ली/हैदराबाद, 6 अगस्त 2025:

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर पार्टी सांसदों, विधायकों और बीसी समुदाय के नेताओं के साथ मिलकर एक बड़ा प्रदर्शन किया। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से तेलंगाना विधानसभा द्वारा पारित BC आरक्षण से जुड़े दो विधेयकों को मंजूरी दिलवाना था।

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि ये विधेयक राज्य में 42% तक पिछड़ा वर्ग (BC) आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए बेहद आवश्यक हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि इन विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि उन्हें न्यायिक चुनौती से संरक्षण मिल सके।

मुख्य बिंदु:

रेवंत रेड्डी की अगुवाई में कांग्रेस सांसदों, मंत्रियों और नेताओं ने दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हैदराबाद से विशेष ट्रेन के ज़रिए सैकड़ों कार्यकर्ता दिल्ली पहुंचे। मुख्यमंत्री ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह BC आरक्षण के मुद्दे को राजनीतिक बनाकर रोके रखना चाहती है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ तेलंगाना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह “सामाजिक न्याय आंदोलन” का राष्ट्रीय स्वरूप लेगा।

राष्ट्रपति से मुलाकात की तैयारी

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि वे अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सांसद राहुल गांधी, तथा DMK, शिवसेना (UBT), वामपंथी दलों और अन्य दलों के वरिष्ठ नेता भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।

क्या हैं ये विधेयक?

तेलंगाना विधानसभा ने मार्च 2025 में दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए थे, जिनमें BC समुदाय के लिए शिक्षा, नौकरी और स्थानीय निकायों में आरक्षण बढ़ाकर 42% तक करने का प्रस्ताव है। राज्य सरकार ने इन विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के पास भेजा है। राज्य सरकार का दावा है कि यह निर्णय हाल ही में किए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसे “समानता के अधिकार” की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

राजनीतिक संदेश और कांग्रेस की रणनीति

रेवंत रेड्डी ने इस प्रदर्शन को कांग्रेस के ‘जितनी आबादी, उतना हक’ के नारे से जोड़ा और कहा कि यह आंदोलन Social Justice 2.0 का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाकर BC आरक्षण पर ध्यान भटकाना चाहती है।

निष्कर्ष:

तेलंगाना सरकार का यह कदम सामाजिक न्याय को लेकर एक बड़ा राजनीतिक संदेश है। अब देश की निगाहें राष्ट्रपति के निर्णय पर टिकी हैं कि वह इन विधेयकों को मंजूरी देती हैं या नहीं।

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