सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के पेशेवरों के लिए रास्ता खोलते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) समेत अन्य सरकारी बैंकों में मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ED) जैसे अहम पदों पर निजी सेक्टर के योग्य और अनुभवी लोगों की नियुक्ति की जा सकेगी। यह फैसला पारंपरिक नियुक्ति प्रणाली से अलग दिशा में उठाया गया कदम है, जिसका उद्देश्य बैंकों के शीर्ष प्रबंधन में नई सोच, पेशेवर अनुभव और दक्षता को शामिल करना है।
सरकार के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, इन पदों के लिए आवेदन करने वाले निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों के पास कम से कम 21 वर्षों का पेशेवर अनुभव होना चाहिए, जिसमें से 15 वर्ष बैंकिंग क्षेत्र में कार्य का अनुभव अनिवार्य है। इसके साथ ही उम्मीदवार के पास कम से कम दो वर्षों का बोर्ड स्तर पर अनुभव या बोर्ड से ठीक नीचे के शीर्ष प्रबंधन स्तर पर तीन वर्षों का अनुभव होना आवश्यक होगा। इन पदों के लिए चयन प्रक्रिया Financial Services Institutions Bureau (FSIB) और आवश्यकतानुसार स्वतंत्र मानव संसाधन एजेंसियों की सिफारिशों के आधार पर पूरी की जाएगी।
केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इन नियुक्तियों से जुड़े वेतन, सेवा शर्तें और कार्यकाल से संबंधित नियम मौजूदा कानूनों — जैसे कि SBI Act, 1955 और Nationalised Banks (Management and Miscellaneous Provisions) Scheme — के तहत ही रहेंगे। इस बदलाव को लेकर सरकारी सूत्रों का कहना है कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक बैंकों में प्रबंधन की गुणवत्ता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर बैंकिंग प्रतिस्पर्धा के अनुरूप उन्हें तैयार करना है।
हालांकि, बैंक कर्मचारियों के संगठनों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) और अन्य यूनियनों का कहना है कि इस फैसले से अंदरूनी कर्मचारियों की पदोन्नति की संभावनाएं प्रभावित होंगी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मूल स्वरूप भी बदल सकता है। यूनियनों का तर्क है कि सरकारी बैंकों की सामाजिक जिम्मेदारी और सार्वजनिक हित की नीतियां निजी क्षेत्र की मानसिकता के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएंगी।
वहीं, समर्थकों का मानना है कि यह कदम बैंकों में पेशेवर प्रबंधन लाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और जोखिम प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सुधार का मार्ग प्रशस्त करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से सार्वजनिक बैंकों में नेतृत्व की विविधता बढ़ाने और कार्यकुशलता सुधारने की जरूरत महसूस की जा रही थी, ऐसे में यह निर्णय उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
इस निर्णय का असर आने वाले महीनों में दिख सकता है, क्योंकि SBI के कुछ प्रबंध निदेशकों का कार्यकाल समाप्त होने वाला है और अब इन पदों के लिए निजी क्षेत्र से भी उम्मीदवारों पर विचार किया जा सकेगा। इससे सार्वजनिक बैंकों के नेतृत्व संरचना में व्यापक बदलाव देखने को मिल सकता है, जो आने वाले वर्षों में बैंकिंग प्रणाली के संचालन और कार्यसंस्कृति को नया स्वरूप देगा।
