भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक और शैक्षणिक सहयोग को नई दिशा देने के लिए गुरुवार को आयोजित India–UK CEO Forum में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की मौजूदगी में हुए इस फोरम में द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, शिक्षा और तकनीकी सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाई देगा। उन्होंने बताया कि इस समझौते से विशेष रूप से भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे नए व्यापारिक अवसर और लाखों रोजगार उत्पन्न होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तेजी से बढ़ती स्टार्टअप इकॉनमी और नवाचार आधारित उद्यमिता को ब्रिटेन के निवेश और विशेषज्ञता से नई ऊर्जा मिलेगी।
इस अवसर पर शिक्षा क्षेत्र में भी एक ऐतिहासिक घोषणा हुई। ब्रिटेन के कुल नौ विश्वविद्यालय अब भारत में अपने कैंपस स्थापित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे “नए भारत में शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में मील का पत्थर” बताया। उन्होंने कहा कि इन कैंपसों से भारतीय छात्रों को उच्चस्तरीय वैश्विक शिक्षा अपने देश में ही सुलभ होगी और रिसर्च तथा नवाचार को नई गति मिलेगी। ब्रिटिश प्रतिनिधियों के अनुसार, साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी का कैंपस पहले ही गुरुग्राम में कार्यरत है, जबकि अन्य विश्वविद्यालय अगले कुछ वर्षों में देश के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में अपने संस्थान खोलेंगे।
बैठक में दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य भी तय किया। भारत और ब्रिटेन ने ऊर्जा, टेक्नोलॉजी, रक्षा उत्पादन, क्लीन टेक और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। ब्रिटिश कंपनियों ने भारत में नए निवेश की इच्छा जताई, वहीं भारतीय पक्ष ने ब्रिटेन को विनिर्माण और हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में साझेदारी का निमंत्रण दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत निवेश के लिए एक भरोसेमंद और स्थिर वातावरण प्रदान कर रहा है। उन्होंने विदेशी निवेशकों को आश्वस्त किया कि सरकार नीतिगत सुधारों के माध्यम से व्यापारिक माहौल को लगातार और सरल बना रही है। इसके साथ ही दोनों देशों ने छात्र वीजा में सहूलियत, अनुसंधान सहयोग और कौशल विकास कार्यक्रमों को और सशक्त करने का निर्णय लिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत के MSME सेक्टर, शिक्षा क्षेत्र और रोजगार बाजार पर दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव डालेगा। ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के आगमन से भारतीय छात्रों को विदेश गए बिना अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा मिलेगी, जबकि FTA से व्यापारिक लागत कम होगी और भारतीय उत्पादों को ब्रिटिश बाजारों तक पहुंचने में आसानी होगी। यह साझेदारी भारत-यूके संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है, जो भविष्य में दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि को और तेज़ गति प्रदान करेगी।
