भारत-पाक तनाव पर ट्रंप का दावा: “मेरी बातों से दोनों देश रुक गए”

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव को शांत कराने का श्रेय खुद को दिया है। ट्रंप ने हालिया भाषण में दावा किया कि उनकी बातों और अमेरिकी नीतियों की वजह से दोनों देशों के बीच संभावित युद्ध जैसी स्थिति टल गई थी। उन्होंने कहा, “मैंने जो कहा, वह बहुत असरदार था — वे रुक गए।”

ट्रंप ने आगे बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान आर्थिक नीतियों, खासकर टैरिफ (आयात शुल्क) को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक औज़ार के रूप में इस्तेमाल किया था। उनके अनुसार, टैरिफ नीति ने न केवल अमेरिका के हितों की रक्षा की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई संघर्षों को भी रोका। उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने टैरिफ को एक “हथियार” की तरह इस्तेमाल न किया होता, तो कई देशों के बीच युद्ध जारी रहते।

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा किया हो। अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने कई बार कहा था कि वे दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने में “मदद करने को तैयार” हैं। हालांकि, भारत ने हमेशा ऐसे किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज किया है। नई दिल्ली की स्पष्ट नीति रही है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत के ज़रिए ही सुलझाए जाएंगे।

ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे बयान ट्रंप की राजनीतिक शैली का हिस्सा हैं, जिसमें वे अपने निर्णयों को वैश्विक घटनाओं से जोड़कर प्रस्तुत करते हैं। वहीं, कुछ अमेरिकी और दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के ऐसे दावे घरेलू राजनीति में प्रभाव बनाने के उद्देश्य से किए जाते हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के वर्षों में कई बार सीमित तनाव की स्थितियां बनीं — खासकर सीमा पार आतंकी घटनाओं और सैन्य गतिविधियों को लेकर। बाद में, दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई बातचीत के बाद सीमा पर युद्धविराम का पालन सख्ती से करने पर सहमति बनी थी। भारत का यह भी कहना रहा है कि यह समझौता द्विपक्षीय वार्ता और राजनयिक स्तर पर संवाद का परिणाम था, न कि किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप का।

ट्रंप के ताज़ा बयान से कूटनीतिक हलकों में नई चर्चा शुरू हो गई है। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने भी इसे राजनीतिक बयान के रूप में देखा है, जिसका उद्देश्य ट्रंप की वैश्विक नेतृत्व छवि को फिर से मजबूत करना है। हालांकि, क्षेत्रीय विश्लेषकों का कहना है कि दक्षिण एशिया की वास्तविक स्थिति का आकलन केवल आधिकारिक दस्तावेज़ों, सैन्य समझौतों और सरकारी बयानों से ही किया जा सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद यह स्पष्ट है कि भारत-पाक रिश्तों की जटिलता और उसमें अमेरिका की भूमिका को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी भविष्य में भी जारी रहेगी। फिलहाल, ट्रंप का यह दावा मीडिया और राजनीतिक हलकों में नई सुर्खियों का विषय बना हुआ है।

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