दिल्ली के ऐतिहासिक और सबसे व्यस्त व्यावसायिक इलाकों में से एक — पुरानी दिल्ली — में इन दिनों व्यापारियों में सीलिंग की कार्रवाई को लेकर गहरी चिंता देखने को मिल रही है। व्यापारिक संगठनों और स्थानीय बाजार संघों ने सरकार से आग्रह किया है कि पुरानी दिल्ली को मास्टर प्लान में संशोधन करते हुए पूर्णतः व्यावसायिक क्षेत्र घोषित किया जाए। उनका कहना है कि यह क्षेत्र कई दशकों से व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, जहां हजारों दुकानें, गोदाम और छोटे उद्योग स्थापित हैं। ऐसे में इसे आवासीय या मिश्रित क्षेत्र की श्रेणी में रखना न केवल अनुचित है, बल्कि व्यापारियों की आजीविका पर भी संकट उत्पन्न कर रहा है।
व्यापारियों का कहना है कि नगर निगम और विकास प्राधिकरण की ओर से समय-समय पर की जाने वाली सीलिंग कार्रवाई से व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कई दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठान बंद करने पड़े हैं, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ बेरोजगारी की स्थिति भी बनी है। व्यापारिक संगठनों ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों से आग्रह किया है कि पुरानी दिल्ली के बाजारों की ऐतिहासिक और आर्थिक महत्ता को देखते हुए इस क्षेत्र को स्पष्ट रूप से व्यावसायिक घोषित किया जाए, ताकि कारोबारियों को अनिश्चितता और डर से मुक्ति मिल सके।
दिल्ली व्यापार महासंघ और अन्य व्यापारी संघों ने सांसदों, विधायकों और नगर निकाय के अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी मांगें रखी हैं। उनका कहना है कि पुरानी दिल्ली के बाजारों से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, फिर भी इन्हें सीलिंग की तलवार के नीचे रखा गया है। व्यापारी चाहते हैं कि प्रशासन न केवल क्षेत्र की कानूनी स्थिति स्पष्ट करे, बल्कि पंजीकरण, मानचित्रण और अग्नि सुरक्षा जैसे नियामक उपायों को सुव्यवस्थित करे।
वहीं, प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र को पूर्णतः व्यावसायिक घोषित करने के लिए मास्टर प्लान 2041 में संशोधन की प्रक्रिया पर विचार किया जा सकता है। इस निर्णय में ट्रैफिक, भवन सुरक्षा और जनसुविधाओं से जुड़े पहलुओं की समीक्षा भी जरूरी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और व्यापारिक संगठन मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालते हैं, तो न केवल सीलिंग विवाद समाप्त होगा, बल्कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
