बिहार में राजनैतिक तापमान बढ़ गया है क्योंकि भाजपा ने रविवार को आरोप लगाया कि राज्य के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव के ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के एक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के लिए अपशब्द बोले गए। भाजपा ने इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया और मामले की कार्रवाई की मांग की।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि जिस क्लिप को उन्होंने साझा किया है, उसमें तेजस्वी के कार्यक्रम के दौरान कुछ लोग प्रधानमंत्री के प्रति अभद्र टिप्पणी करते दिख रहे हैं। पार्टी ने इस पर कड़ी निंदा की और आरोपियों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई व सख्त दण्ड की माँग रखी। भाजपा के कई स्थानीय व राज्यस्तरीय नेताओं ने इस घटना को बिहार की अस्मिता पर वार बताते हुए राजनीतिक चोट भी दी।
दूसरी ओर, आरजेडी ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वीडियो ‘डॉकर्ट’ या संदर्भ से हटकर प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि पार्टी को बदनाम किया जा सके। आरजेडी ने आरोपों को सियासी षड़यंत्र करार दिया और इससे पहले भी ऐसी घटनाओं को राजनीतिक माहौल बिगाड़ने का प्रयास कहा जा चुका है। तेजस्वी या उनके कार्यालय ने (आधिकारिक बयान के रूप में) घटना की वास्तविकता के संबंध में तुरंत स्वीकारोक्ति नहीं दी; पार्टी का रवैया फ़िलहाल इस तरह का रहा है कि वीडियो की सत्यता की पड़ताल की जानी चाहिए।
पुलिस सूत्रों और स्थानीय समाचार रिपोर्टों के अनुसार, आरोप मिलते ही कुछ स्थानों पर प्राथमिकी (FIR) दर्ज करवाई गयी — ख़ासकर महुआ इलाके के एक विधायक समेत कुछ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने की सूचनाएँ आईं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों ने बताया कि शिकायतों में आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ उचित धाराओं के तहत जांच शुरू करने का उल्लेख है; मामले की जांच जारी है और पुलिस वीडियो की वास्तविकता व लोगों की पहचान कर रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज रही: भाजपा नेताओं ने विरोधियों पर सरकार-विरोधी गतिविधियां और सामूहिक अपशब्द लगाने का आरोप लगाया, जबकि विपक्षी नेता इस घटना को चुनावी रणनीति का हिस्सा बता रहे हैं। विपक्ष के कुछ हिस्सों ने भी सतर्कता बरतते हुए कहा कि अगर किसी ने गैरकानूनी शब्द कहे हों तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, परन्तु साथ ही यह भी कहा गया कि तथ्य स्थापित किए बिना घोर आरोप-प्रचार ठीक नहीं।
कानूनी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में पुलिस वीडियो फुटेज, आयोजन की रिकॉर्डिंग और उपस्थित लोगों के बयानों की समीक्षा कर रही है। यदि जांच में किसी व्यक्ति की सांठगांठ या आपराधिक ज़िम्मेदारी पायी जाती है तो उसके अनुसार आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी; साथ ही यह भी सम्भव है कि किसी तरह के साक्ष्य-च्युत (evidence tampering) या वीडियो में हेरफेर की जाँच भी की जाए। समाचार-स्रोतों ने बताया है कि मामले की सच्चाई सामने आने तक राजनीतिक बयानबाज़ी जारी रहने की संभावना है।
