पाकिस्तान-सऊदी रक्षा सहयोग पर MEA ने साधा संतुलित रुख, कहा- भारत तैयार है हर स्थिति के लिए

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पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते पर भारत ने संयमित लेकिन स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता ने कहा कि भारत को इस समझौते की जानकारी पहले से थी और इस संबंध में किसी तरह की आशंका की आवश्यकता नहीं है। प्रवक्ता ने दोहराया कि भारत अपनी विदेश नीति को संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ा रहा है, और किसी भी तीसरे देश के आपसी रिश्ते भारत की सुरक्षा या हितों को प्रभावित नहीं कर सकते।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सतर्क और सक्षम है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य पड़ोसी देशों सहित पश्चिम एशिया के देशों के साथ मजबूत साझेदारी स्थापित करना है। इसी कारण भारत और सऊदी अरब के बीच पिछले कुछ वर्षों में संबंध और गहरे हुए हैं। ऊर्जा आपूर्ति, निवेश, बुनियादी ढांचे में सहयोग और आतंकवाद विरोधी उपायों जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच समझ बढ़ी है।

इस बीच पाकिस्तान और सऊदी अरब ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें सैन्य प्रशिक्षण, रक्षा उपकरणों का आदान-प्रदान, संयुक्त अभ्यास और तकनीकी सहयोग जैसी पहल शामिल हैं। पाकिस्तान इस समझौते को अपनी रणनीतिक जीत बताकर प्रचारित कर रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर सके। हालांकि, कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी अरब की विदेश नीति हमेशा से बहुपक्षीय रही है और उसका उद्देश्य संतुलित संबंध बनाए रखना है।

भारत के दृष्टिकोण से यह समझौता भले ही क्षेत्रीय परिदृश्य में नई हलचल पैदा कर सकता है, लेकिन भारत की आर्थिक और रणनीतिक स्थिति सऊदी अरब के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बनी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, भारत सऊदी अरब से ऊर्जा आयात करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है और दोनों देशों के बीच व्यापार का आकार लगातार बढ़ रहा है। इसके अलावा खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीय प्रवासी समुदाय से मिलने वाला आर्थिक योगदान सऊदी नेतृत्व के लिए भी अहम है।

विदेश मंत्रालय के बयान से यह साफ हो गया है कि भारत इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहा है और अपनी सुरक्षा और कूटनीतिक हितों को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। भारत की प्राथमिकता आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और पश्चिम एशिया में स्थिरता बनाए रखने की है। ऐसे में पाकिस्तान और सऊदी अरब का समझौता भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक नीतियों को प्रभावित करने वाला नहीं माना जा रहा।

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