नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने दिव्यांग बच्चों की शिक्षा और पुनर्वास के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने जानकारी दी है कि हमारी सरकार दिव्यांग बच्चों के लिए राजधानी के विभिन्न इलाकों में 10 नए संसाधन केंद्र (रिसोर्स सेंटर) खोल रही है। इन केंद्रों में दिव्यांग बच्चों को उनकी विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप चिकित्सीय, शैक्षणिक और परामर्श सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराई जाएंगी। इन केंद्रों में करीब 12,500 बच्चों को सीधा लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के 75वें जन्मदिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह 17 सितंबर को इन केंद्रों का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कहा कि सवाल केवल इतना नहीं है कि दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में प्रवेश मिल जाए।
हमारा वास्तविक संकल्प है कि ऐसे बच्चों की विविध शैक्षिक, चिकित्सीय और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाए। अक्सर इन बच्चों को पढ़ाई में इसलिए कठिनाई होती है क्योंकि उनकी चिकित्सीय जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार ने जिला स्तर पर संसाधन केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। ये केंद्र दिव्यांग बच्चों के लिए समन्वित और व्यापक सेवाओं के केंद्र होंगे, जहां उन्हें फिजियोथेरपी, स्पीच थेरपी, ऑक्युपेशनल थेरपी, बिहैवियरल इंटरवेंशन और अन्य सेवाएं एक ही स्थान पर मिलेंगी। मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से प्रेरणा लेकर हमारी सरकार ये 10 केंद्र शुरू करने जा रही है। इनमें लगभग 12,500 दिव्यांग बच्चों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और उन्हें न केवल शैक्षिक अवसर बल्कि जीवन कौशल विकसित करने के लिए भी मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने यह भी जानकारी दी कि प्रत्येक केंद्र में छह विशेषज्ञों की टीम नियुक्त की जाएगी। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के पेशेवर होंगे जैसे, स्पीच थेरपिस्ट, जो बच्चों की बोलने और संवाद की क्षमता को सुधारेंगे। फिजियोथेरपिस्ट, जो मोटर स्किल्स (बच्चे को शारीरिक रूप से इतना सक्षम बनाना कि वह चल-फिर सके, खेल सके और अपने रोज़मर्रा के काम खुद करने लगे) और शारीरिक गतिविधियों में सहयोग देंगे। ऑक्युपेशनल थेरपिस्ट, जो बच्चों को दैनिक जीवन कौशल सिखाएंगे। बिहैवियरल एक्सपर्ट, जो व्यवहार सुधार और परामर्श देंगे। इसके अलावा अन्य विशेषज्ञ जो विशेष चिकित्सीय और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री का कहना है कि इन सेवाओं का सीधा प्रभाव बच्चों की शैक्षिक उपलब्धियों और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना का मूल उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली, सुलभ और समान सेवाएं प्रदान करना है। इसके साथ ही ये केंद्र जिला स्तर पर नोडल संस्थान के रूप में काम करेंगे, जहां विकलांगता से संबंधित योजनाओं की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी की जाएगी। साथ ही शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय को प्रशिक्षित कर समावेशी शिक्षा की संस्कृति को और मजबूत बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता का यह भी कहना है कि हमारी सरकार की इस महत्वपूर्ण पहल के दूरगामी लाभ होंगे जिनमें बहु-विषयक विशेषज्ञों की टीम द्वारा बच्चों का औपचारिक आकलन और उनकी आवश्यकताओं की पहचान। प्रत्येक विद्यार्थी का विस्तृत केस रिकॉर्ड तैयार करना, ताकि आगे की चिकित्सीय या शैक्षिक रेफरल की सुविधा सुनिश्चित हो। फिजियोथेरपी, स्पीच थेरपी, ऑक्युपेशनल थेरपी और काउंसलिंग जैसी सेवाओं का पूरी तरह निःशुल्क लाभ। इसके अलावा परिवार परामर्श सेवाओं की उपलब्धता, जिससे अभिभावकों को भी बच्चों की देखभाल और विकास में सहयोग मिलेगा। मुख्यमंत्री के अनुसार दिल्ली सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिव्यांग बच्चों को न केवल शिक्षा का उचित अवसर मिले, बल्कि उनके सम्पूर्ण विकास के लिए भी समान अवसर उपलब्ध हों। ये संसाधन केंद्र बच्चों को नई उम्मीद देंगे और उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा में शामिल करने की दिशा में बड़ा कदम साबित होंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन इलाकों में ये केंद्र खोले जाएंगे, उनमें बादली, पश्चिम विहार, विश्वास नगर, मंगोलपुरी, नारायणा, द्वारका, नजफगढ़, छतरपुर, मदनपुर खादर, प्रताप नगर शामिल हैं।
