पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी और हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की कवायद अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच चुकी है। भारत सरकार ने बेल्जियम के न्याय मंत्रालय और संबंधित न्यायिक संस्थानों को औपचारिक पत्र भेजकर यह आश्वासन दिया है कि चोकसी को प्रत्यर्पण के बाद हिरासत में पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मानकों और मानवाधिकार नियमों के अनुरूप रखा जाएगा।
भारत का औपचारिक आश्वासन
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा भेजे गए पत्र में कई शर्तों का विस्तृत उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि मेहुल चोकसी को एकांत कारावास (solitary confinement) में नहीं रखा जाएगा, उनकी जेल कक्ष में साफ-सफाई, उचित रोशनी और वेंटिलेशन की व्यवस्था होगी। साथ ही भीड़भाड़ से दूर एक सुरक्षित स्थान दिया जाएगा, जहाँ उन्हें व्यक्तिगत भंडारण की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि चोकसी को पौष्टिक भोजन, 24 घंटे चिकित्सीय सुविधाएँ, खुली हवा में घूमने का अवसर और सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे पुस्तकालय, खेल व अन्य सुविधाएँ दी जाएँगी। इस आश्वासन का उद्देश्य बेल्जियम की उन चिंताओं को दूर करना है, जो यूरोपीय मानवाधिकार संधि के तहत प्रत्यर्पण से पहले आवश्यक मानी जाती हैं।
गिरफ्तारी और कानूनी प्रक्रिया
अप्रैल 2025 में मेहुल चोकसी को बेल्जियम के एंटवर्प शहर से गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ही भारत की जांच एजेंसियाँ (CBI और ED) लगातार उनके प्रत्यर्पण की दिशा में काम कर रही हैं। बेल्जियम की अदालतों ने चोकसी की जमानत याचिका पहले ही खारिज कर दी थी। हालांकि, उनके वकील लगातार यह दलील दे रहे हैं कि चोकसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं और उन्हें इलाज के लिए स्विट्ज़रलैंड जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
बेल्जियम की कानूनी बाधाएँ
बेल्जियम की अदालतें प्रत्यर्पण पर फैसला लेने से पहले यह सुनिश्चित करेंगी कि भारत में चोकसी को हिरासत के दौरान कोई अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार न झेलना पड़े। यूरोपीय मानवाधिकार संधि का अनुच्छेद 3 इस बात की गारंटी देता है कि किसी भी आरोपी को यातना या अस्वाभाविक परिस्थितियों में नहीं रखा जाएगा। ऐसे में भारत द्वारा दिए गए लिखित आश्वासन ही अदालत के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे।
संभावित अगला कदम
कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद यदि अदालत भारत के पक्ष में फैसला देती है, तो मेहुल चोकसी को प्रत्यर्पित करने की औपचारिक कार्यवाही शुरू हो जाएगी। हालांकि, चोकसी की कानूनी टीम अभी भी प्रत्यर्पण को चुनौती देने के लिए स्वास्थ्य और मानवाधिकार संबंधी तर्क अदालत के समक्ष रख सकती है। इस कारण प्रक्रिया में कुछ और समय लग सकता है।
मेहुल चोकसी और PNB घोटाले की पृष्ठभूमि
मेहुल चोकसी, उम्र लगभग 66 वर्ष, लंबे समय से हीरा उद्योग से जुड़े रहे हैं। उन पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले में हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। चोकसी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनियों के माध्यम से बैंकों को गुमराह कर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) के जरिए फर्जी तरीके से भारी-भरकम रकम हासिल की। यह मामला भारत के इतिहास के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में गिना जाता है।
भारत की केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) पिछले कई वर्षों से इस मामले की जांच कर रही हैं और मेहुल चोकसी को मुख्य आरोपी मानते हुए उनकी संपत्तियों को भी जब्त किया गया है।
निष्कर्ष
PNB घोटाले से जुड़े इस बहुचर्चित मामले में अब सबकी निगाहें बेल्जियम की अदालतों पर टिकी हुई हैं। भारत सरकार ने पूरी तैयारी और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करते हुए प्रत्यर्पण का रास्ता आसान करने का प्रयास किया है। यदि प्रत्यर्पण की मंजूरी मिल जाती है, तो यह भारत की जांच एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता होगी और घोटाले के आरोपियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
