टियानजिन (SCO शिखर सम्मेलन) — शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात चर्चा का मुख्य आकर्षण रही। सम्मेलन स्थल से होटल तक दोनों नेता एक ही Aurus लिमोजीन में सवार हुए और करीब 45 मिनट से एक घंटे तक लगातार बातचीत करते रहे।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव के मुताबिक, यह बातचीत केवल कार यात्रा तक सीमित नहीं रही बल्कि होटल पहुंचने के बाद भी दोनों नेताओं के बीच संवाद जारी रहा। मीडिया रिपोर्ट्स में यह मुलाकात इसलिए खास मानी जा रही है क्योंकि आमतौर पर ऐसे अवसरों पर नेता औपचारिक वार्ताओं तक सीमित रहते हैं, लेकिन मोदी और पुतिन की यह निजी बातचीत लंबी और गहन रही।
राष्ट्रपति पुतिन ने बाद में पत्रकारों को बताया कि इस मुलाकात में “कोई सीक्रेट” नहीं था। उन्होंने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति से हुई अपनी हालिया चर्चा का ब्योरा साझा किया। हालांकि पुतिन ने विस्तार से कुछ नहीं बताया, लेकिन संकेत दिया कि उस बातचीत का विषय वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के साथ-साथ कूटनीतिक मुद्दे थे।
इसके अलावा, दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े अहम मुद्दों पर भी चर्चा की। इसमें ऊर्जा सहयोग, उर्वरक आपूर्ति, अंतरिक्ष क्षेत्र में साझेदारी और सुरक्षा मामलों पर आपसी सहयोग शामिल था। मोदी ने इस मौके पर कहा कि भारत और रूस ने हमेशा कठिन परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ दिया है और यह भरोसा आने वाले समय में और मजबूत होगा।
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब रूस-भारत रिश्ते वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों और अमेरिका-रूस संबंधों के बीच संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं। तेल खरीद, व्यापार और सुरक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग जारी है। पुतिन और मोदी की यह लंबी, निजी बातचीत इसी रणनीतिक साझेदारी का संकेत मानी जा रही है।
मीडिया में वायरल तस्वीरों और वीडियो में साफ दिखा कि पुतिन प्रधानमंत्री मोदी के आने से पहले करीब 10 मिनट तक कार में इंतजार करते रहे। इसके बाद दोनों नेता साथ बैठे और होटल तक की यात्रा में लगातार बातचीत करते रहे। यह नजारा सम्मेलन के दौरान सबसे चर्चित पलों में से एक बन गया।
पुतिन के इस खुलासे ने साफ किया कि मोदी-पुतिन की मुलाकात में पारदर्शिता और विश्वास का स्तर बेहद ऊँचा है। भले ही बातचीत का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन यह स्पष्ट है कि इसमें अमेरिका से जुड़ी वार्ताएं, वैश्विक रणनीतिक चुनौतियाँ और द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई।
