US Tariffs: अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के आयात शुल्क को अवैध ठहराया, भारत को कब मिलेगी राहत?

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अमेरिका की एक संघीय अपील अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में लगाए गए कई आयात शुल्कों (Tariffs) को कानून के दायरे से बाहर बताते हुए अवैध करार दिया है। अदालत का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) के तहत ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल किया जो कांग्रेस द्वारा दी गई सीमाओं से परे था। हालांकि अदालत ने अपने फैसले के तत्काल असर पर रोक लगाते हुए प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील का समय दिया है। इसका मतलब है कि फिलहाल ये टैरिफ प्रभावी रहेंगे और आयातकों-निर्यातकों को तुरंत राहत नहीं मिलेगी।

अदालत का फैसला — क्यों बताया गया अवैध?

अदालत ने साफ किया कि IEEPA राष्ट्रपति को सीमित परिस्थितियों में आपातकालीन व्यापारिक फैसले लेने की अनुमति देता है, लेकिन इसका प्रयोग पूरे वैश्विक व्यापार पर व्यापक आयात शुल्क थोपने के लिए नहीं किया जा सकता। पहले भी निचली अदालतें इस मुद्दे पर आपत्ति जता चुकी थीं और अब अपील अदालत ने भी उनकी राय से सहमति जताई है। इस तरह ट्रंप के “टैरिफ कैंपेन” का बड़ा हिस्सा कानूनी रूप से कमजोर माना गया है।

लागू होने में देरी क्यों?

हालांकि फैसले में ट्रंप के टैरिफ अवैध बताए गए, लेकिन अदालत ने इन्हें तुरंत हटाने का आदेश नहीं दिया। प्रशासन ने दलील दी कि अगर अचानक टैरिफ हटाए गए तो व्यापारिक और सरकारी प्रक्रियाओं में अव्यवस्था हो सकती है। इस तर्क को देखते हुए अदालत ने फिलहाल फैसले पर रोक लगा दी और प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट जाने का समय दिया है।

भारत पर असर — कौन से सेक्टर प्रभावित?

ट्रंप काल के दौरान और हाल ही में लागू किए गए अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए भारी साबित हुए हैं। इनसे खास तौर पर निम्नलिखित सेक्टर प्रभावित हुए:

टेक्सटाइल और परिधान उद्योग

रत्न और आभूषण (जेम्स-एंड-ज्वेलरी)

समुद्री उत्पाद (विशेषकर झींगा/श्रिम्प)

चमड़ा और फुटवियर

कुछ रसायन और मशीनरी उत्पाद

विशेषज्ञों के मुताबिक इन टैरिफ्स ने भारत के अरबों डॉलर के निर्यात को नुकसान पहुंचाया और अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता घटाई।

राहत की संभावना — कितनी और कब?

अगर सुप्रीम कोर्ट भी अपील अदालत के फैसले को बरकरार रखता है, तो IEEPA आधारित ये टैरिफ स्थायी रूप से अवैध हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में:

आयातकों को रिफंड (वापसी) मिल सकता है, हालांकि प्रक्रिया जटिल होगी और केवल उन्हीं को सीधी राहत मिलेगी जो अदालत में पक्षकार रहे हैं। बाकी आयातकों को अमेरिकी कस्टम्स प्रक्रिया के जरिये दावा करना होगा।

भविष्य में अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए इस तरह व्यापक रूप से IEEPA का इस्तेमाल कर टैरिफ लगाने की राह काफी हद तक बंद हो जाएगी।

भारत की रणनीति और कूटनीति

नई दिल्ली में सरकार ने इस मुद्दे पर WTO (विश्व व्यापार संगठन) में परामर्श की संभावना और अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता दोनों विकल्पों पर विचार शुरू किया है। साथ ही, प्रभावित उद्योगों को राहत देने के लिए आंतरिक पैकेज और नए बाजारों की तलाश जैसे कदम भी चर्चा में हैं।

निष्कर्ष

अमेरिकी अदालत का यह फैसला ट्रंप प्रशासन की व्यापारिक नीतियों पर बड़ा कानूनी झटका है। लेकिन भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी आयातकों के लिए तुरंत राहत अभी नहीं है, क्योंकि टैरिफ फिलहाल लागू रहेंगे। असली तस्वीर तभी साफ होगी जब मामला सुप्रीम कोर्ट से निपटेगा। यदि अंतिम फैसला भी यही रहता है, तो भारत सहित कई देशों के निर्यातकों को बड़ी राहत मिल सकती है।

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