प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय जापान दौरे पर टोक्यो पहुंचे हैं। यह दौरा भारत और जापान के बीच रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच होने वाली 15वीं इंडिया-जापान वार्षिक शिखर वार्ता इस दौरे का मुख्य आकर्षण है।
बुलेट-ट्रेन और इंफ्रास्ट्रक्चर
भारत और जापान के बीच मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना (E10 शिंकानसेन) पर चर्चा इस यात्रा का प्रमुख हिस्सा होगी। माना जा रहा है कि दोनों पक्ष परियोजना की गति बढ़ाने, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सहायता पर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। जापानी शिंकानसेन तकनीक से भारत में तेज़ गति और आधुनिक यातायात ढांचे को बढ़ावा मिलेगा।
आर्थिक सहयोग और निवेश
रिपोर्टों के अनुसार, जापान आने वाले वर्षों में भारत में लगभग 68 अरब डॉलर के निवेश की रूपरेखा घोषित कर सकता है। यह निवेश विनिर्माण, बुनियादी ढांचा, हरित ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों पर केंद्रित होगा। इस पैकेज से भारत में उद्योगों और रोजगार को गति मिलने की संभावना है।
टेक्नोलॉजी, सेमीकंडक्टर और AI
भारत और जापान दोनों देश तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी में हैं। विशेष तौर पर सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिटिकल मिनरल्स पर सहयोग को लेकर समझौते की उम्मीद है। इससे भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूती मिलेगी और सप्लाई चेन सुरक्षा भी बढ़ेगी।
क्वाड और रणनीतिक सहयोग
क्वाड (भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया) के दायरे में भारत-जापान सहयोग और भी महत्वपूर्ण है। इस बैठक में समुद्री सुरक्षा, सप्लाई चेन स्थिरता और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन जैसे मुद्दों पर ठोस रूपरेखा तैयार होने की उम्मीद है। क्वाड के तहत साझा परियोजनाओं और क्रिटिकल मटेरियल्स के प्रबंधन पर भी चर्चा संभव है।
रक्षा और सुरक्षा साझेदारी
भारत और जापान के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। इस यात्रा में संयुक्त सैन्य अभ्यास, को-प्रोडक्शन और तकनीकी हस्तांतरण पर नए कदम उठाए जा सकते हैं। विशेषकर समुद्री सुरक्षा और आधुनिक रक्षा-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी मजबूत हो सकती है।
दौरे की अहमियत
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक और रणनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। अमेरिका की नई टैरिफ नीतियों और चीन की सक्रियता के बीच भारत अपने विकल्पों को मजबूत करना चाहता है। जापान इस संदर्भ में भारत का सबसे भरोसेमंद साझेदार बनकर उभर रहा है।
आगे क्या उम्मीदें
इस यात्रा से भारत को निवेश, तकनीकी सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता तीनों स्तर पर बड़े लाभ मिलने की संभावना है।
जापान की तरफ से बड़े निवेश पैकेज की घोषणा
सेमीकंडक्टर और AI पर साझा समझौते
बुलेट-ट्रेन परियोजना में नई प्रगति
क्वाड के तहत इंडो-पैसिफिक रणनीति में नई पहलें
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल भारत-जापान रिश्तों को नई मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की कूटनीतिक और आर्थिक स्थिति को और सशक्त बनाएगा।
