उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के विलय को लेकर बड़ी घोषणा हुई है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) विद्यालयों का विलय केवल 3 किलोमीटर की परिधि के भीतर ही किया जाएगा। वहीं, प्राथमिक (कक्षा 1 से 5) विद्यालयों के मामले में यह सीमा 1 किलोमीटर तक ही सीमित रहेगी। सरकार ने यह भी दोहराया कि 50 से अधिक नामांकन (एनरोलमेंट) वाले विद्यालयों का विलय नहीं किया जाएगा, जिससे छात्रों और अभिभावकों की चिंताओं को काफी हद तक दूर किया गया है।
पृष्ठभूमि: क्यों उठी यह बहस?
पिछले कुछ समय से राज्य सरकार की “स्कूल पेयरिंग और मर्जर पॉलिसी” को लेकर विवाद और भ्रम की स्थिति बनी हुई थी। खबरें आई थीं कि प्रदेश के लगभग 10,000 स्कूलों को विलय की प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है। इसको लेकर शिक्षक संघों, अभिभावकों और विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि अगर दूर-दराज़ या कमज़ोर इलाकों के स्कूल बंद होंगे, तो बच्चों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा पर विपरीत असर पड़ेगा।
सरकार का रुख और नया नियम
सरकार ने अब स्थिति साफ कर दी है। शिक्षा विभाग के नए निर्देशों के अनुसार—
उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6–8): 3 किमी तक की दूरी में आने वाले स्कूलों का विलय किया जा सकेगा।
प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1–5): केवल 1 किमी के दायरे में ही स्कूल मर्ज होंगे।
नामांकन सीमा: जिन स्कूलों में 50 से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं, उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।
सरकार का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य विद्यालयों को बंद करना नहीं है, बल्कि संसाधनों का समेकन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। छोटे-छोटे विद्यालयों को मिलाकर एक ही परिसर में बेहतर शिक्षक, पुस्तकालय, प्रयोगशाला और कंप्यूटर जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी।
अदालत में सरकार की सफाई
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई भी हुई। अदालत ने सरकार से सवाल किया कि क्या मर्जर से बच्चों की पढ़ाई और उनकी पहुँच प्रभावित नहीं होगी। इसके जवाब में सरकार ने शपथपत्र दाखिल कर कहा कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों को 1 किमी से अधिक दूर नहीं भेजा जाएगा और 50 से अधिक नामांकन वाले स्कूलों का मर्जर नहीं किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से क्रियान्वयन की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। साथ ही जिलों से भी विवादित पेयरिंग के मामलों की समीक्षा कर सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।
असर और संभावित चुनौतियाँ
नई नीति से गाँव-गाँव में शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। जहाँ छोटे उच्च प्राथमिक विद्यालय नजदीकी बड़े स्कूलों में मिलेंगे, वहीं प्राथमिक स्तर पर 1 किमी की सीमा बच्चों और अभिभावकों को राहत देगी।
फायदे:
बेहतर संसाधनों का उपयोग
शिक्षक उपलब्धता में सुधार
छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुविधाएँ
चुनौतियाँ:
कुछ ग्रामीण इलाकों में दूरी फिर भी बच्चों की उपस्थिति को प्रभावित कर सकती है।
बालिकाओं की सुरक्षा और पहुँच को लेकर विशेष इंतजाम करने होंगे।
परिवहन और आधारभूत संरचना पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार ने अब स्पष्ट कर दिया है कि विद्यालयों का विलय मनमाने ढंग से नहीं किया जाएगा। प्राथमिक विद्यालयों को 1 किमी के भीतर और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 3 किमी के भीतर मर्ज करने का नियम तय कर दिया गया है। इसके अलावा, 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूल यथावत चलते रहेंगे। अब देखना यह होगा कि ज़मीनी स्तर पर इन नियमों का पालन कितना पारदर्शी तरीके से होता है और छात्रों के हित कितनी प्राथमिकता पाते हैं।
