दिल्ली-एनसीआर में 10 और 15 साल पुराने वाहनों को सुप्रीम कोर्ट से अस्थायी राहत, फिलहाल नहीं होगी कार्रवाई

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नई दिल्ली। राजधानी क्षेत्र के लाखों वाहन मालिकों के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत भरी खबर आई है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को आदेश दिया है कि फिलहाल 10 साल से पुराने डीज़ल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक या जबरन कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह अंतरिम राहत अगली सुनवाई तक जारी रहेगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने सुनवाई के दौरान पारित किया। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी कर चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

अदालत ने क्या कहा

सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की कि केवल वाहन की उम्र को आधार बनाकर कठोर कार्रवाई करना न्यायोचित नहीं है। कई पुराने वाहन अच्छी तकनीकी स्थिति में होते हैं और पहले गाड़ियां 40-50 साल तक चलती थीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि नीति बनाते समय इसके वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और आर्थिक पहलुओं का संतुलित मूल्यांकन जरूरी है।

मौजूदा नियम क्या कहते हैं

2018 से लागू राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के नियमों के तहत:

डीज़ल वाहन: 10 साल से अधिक पुराने डीज़ल वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है।

पेट्रोल वाहन: 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों का संचालन प्रतिबंधित है।

यह नीति राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेशों के आधार पर लागू की गई थी। इसका उद्देश्य दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करना है, क्योंकि अध्ययन बताते हैं कि पुराने इंजन से उत्सर्जन स्तर अधिक होता है।

विवाद और चुनौतियाँ

वाहन मालिकों, ट्रांसपोर्ट यूनियनों और कुछ नागरिक संगठनों ने इस नीति का विरोध किया है। उनका कहना है:

केवल वाहन की उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगाना तार्किक नहीं है।

प्रदूषण स्तर का सही आकलन वाहन की पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) रिपोर्ट और तकनीकी स्थिति के आधार पर होना चाहिए।

उम्र-आधारित पाबंदियों से मध्यम वर्ग और व्यावसायिक वाहन मालिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है, क्योंकि उन्हें समय से पहले वाहन बदलने पड़ते हैं।

दिल्ली सरकार ने भी इस नीति की समीक्षा की मांग की है, यह तर्क देते हुए कि इसके प्रभाव और वैज्ञानिक आधार को दोबारा परखने की जरूरत है।

आगे क्या होगा

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सभी एजेंसियों — पुलिस, परिवहन विभाग और अन्य प्रशासनिक निकायों — को निर्देश दिया है कि वे पुराने वाहनों के खिलाफ उम्र-आधारित कार्रवाई न करें। चार हफ्तों में सभी पक्ष अपना लिखित जवाब दाखिल करेंगे, जिसके बाद अदालत अगली सुनवाई में स्थायी दिशा-निर्देश जारी कर सकती है।

संभावित असर

यह राहत दिल्ली-एनसीआर के हजारों निजी और व्यावसायिक वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत साबित होगी।

पुराने लेकिन अच्छी स्थिति में मौजूद वाहन अब कुछ समय और चल सकेंगे।

यदि कोर्ट उम्र-आधारित पाबंदियों में संशोधन पर विचार करता है, तो भविष्य में वाहन स्क्रैप नीति में बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

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