चालू वित्त वर्ष में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में 4% की गिरावट, ₹6.64 लाख करोड़ पर ठहराव

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नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025 – वित्त मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में सरकार के प्रत्यक्ष कर राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है। 1 अप्रैल से 11 अगस्त 2025 के बीच शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹6.64 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹6.91 लाख करोड़ की तुलना में लगभग 3.95% कम है।

सकल बनाम शुद्ध कर संग्रह

इसी अवधि में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹7.99 लाख करोड़ दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 2% घटा है।

सकल संग्रह: कुल कर वसूली, जिसमें कोई रिफंड घटाया नहीं गया।

शुद्ध संग्रह: रिफंड घटाने के बाद बची हुई राशि, जो सरकार के पास वास्तविक राजस्व के रूप में रहती है।

इस बार शुद्ध संग्रह में गिरावट का मुख्य कारण रिफंड में वृद्धि रहा है।

कर वापसी में बढ़ोतरी

सरकार ने इस वित्त वर्ष में अब तक ₹1.35 लाख करोड़ की कर वापसी की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 10% अधिक है।

19 जून तक: सकल संग्रह ₹5.45 लाख करोड़ (+4.86%), लेकिन शुद्ध संग्रह ₹4.58 लाख करोड़ (-1.39%)। रिफंड में 58% की वृद्धि।

10 जुलाई तक: सकल संग्रह ₹6.64 लाख करोड़ (+3.17%), जबकि शुद्ध संग्रह ₹5.63 लाख करोड़ (-1.34%)। इस अवधि में रिफंड में 38% की तेजी देखी गई।

प्रत्यक्ष कर के घटक

प्रत्यक्ष कर में मुख्य रूप से आयकर और कॉरपोरेट टैक्स शामिल होते हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार व्यक्तिगत आयकर में मामूली बढ़त देखी गई।

कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में अपेक्षा से धीमी वृद्धि रही, खासकर निर्यात और निर्माण से जुड़े उद्योगों में मुनाफा घटने के कारण।

गिरावट के प्रमुख कारण

1. रिफंड प्रक्रिया में तेजी – ऑटोमेशन और तकनीकी सुधार के चलते रिफंड पहले से तेज जारी हो रहे हैं।

2. आर्थिक गतिविधियों में मंदी – कुछ उद्योग क्षेत्रों में बिक्री और उत्पादन घटा।

3. वैश्विक आर्थिक दबाव – निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों पर अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी का असर।

4. अग्रिम कर भुगतान में सुस्ती – कंपनियों ने शुरुआती तिमाही में अनुमानित कर भुगतान को लेकर सतर्कता बरती।

आर्थिक असर

शुद्ध और सकल दोनों संग्रह में गिरावट से सरकार के बजटीय लक्ष्यों पर दबाव बढ़ सकता है। प्रत्यक्ष कर संग्रह बुनियादी ढांचा, कल्याणकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं के लिए अहम स्रोत है।

अगर आने वाले महीनों में सुधार नहीं हुआ, तो वित्त वर्ष के अंत तक राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका है।

आगे की संभावनाएं

त्योहारी सीजन से बढ़त – अक्टूबर से दिसंबर के बीच व्यापारिक गतिविधियां तेज होने की संभावना है।

निवेश में वृद्धि – सरकार की परियोजनाओं से कर आधार में विस्तार हो सकता है।

नीतिगत सुधार – टैक्स अनुपालन बढ़ाने और प्रक्रिया सरल बनाने पर जोर दिया जा सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले कुछ महीने वैश्विक आर्थिक हालात और घरेलू मांग की मजबूती पर निर्भर करेंगे।

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