लखनऊ। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने वर्ष 2025 के पहले सात महीनों (जनवरी से जुलाई) के दौरान कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में रिकॉर्ड प्रगति की है। राजस्व संग्रहण, ई-मोबिलिटी, रोड सेफ्टी, डिजिटल सुधारों और सेवा विस्तार के क्षेत्र में विभाग ने उल्लेखनीय कार्य किया है। यह प्रदर्शन प्रदेश को देशभर में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर रहा है।
राजस्व में 10.39% की बढ़त, लक्ष्य के करीब
अप्रैल से जून 2025 की पहली तिमाही में परिवहन विभाग ने कुल ₹2,913.78 करोड़ का राजस्व एकत्र किया है, जो गत वर्ष की तुलना में 10.39% अधिक है। यह विभागीय लक्ष्य का लगभग 86% हिस्सा है। अकेले जून माह में ₹830.15 करोड़ की आय अर्जित की गई, जो कि ई-वाहनों को दी जा रही छूट के बावजूद एक सकारात्मक संकेत है।
वाहन पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि
मई 2025 में प्रदेश में कुल 3.62 लाख गैर-परिवहन वाहन पंजीकृत किए गए, जिनमें दोपहिया वाहनों की संख्या सबसे अधिक रही। वहीं परिवहन वाहनों की संख्या 40,311 रही। इसमें ई-कार्ट जैसे वाहनों में भारी वृद्धि (65%) देखी गई। यह आंकड़े प्रदेश में बढ़ती मोबिलिटी और व्यापारिक गतिविधियों को दर्शाते हैं।
उत्तर प्रदेश बना देश का अग्रणी ई-व्हीकल राज्य
जनवरी से जून तक प्रदेश में कुल 70,770 इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण हुआ। इसके साथ ही ई-वाहनों पर दी गई कर और शुल्क छूट की राशि ₹255.50 करोड़ तक पहुँच गई। वर्तमान में प्रदेश में कुल 12.29 लाख इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हैं, जिससे उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक ईवी रजिस्ट्रेशन वाला राज्य बन गया है।
UPSRTC का बेड़ा और सेवाएं हुईं मजबूत
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम (UPSRTC) ने अपने बेड़े में नई इलेक्ट्रिक बसों को जोड़ा है, जिनमें प्रयागराज महाकुंभ के लिए 220 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं। इनमें 20 AC डबल डेकर बसें भी तैनात की गई हैं। इसके अलावा, निगम ने दो पुरानी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट कर पायलट परीक्षण शुरू कर दिया है। वर्ष 2027 तक UPSRTC का लक्ष्य है कि बसों की संख्या 25,000 तक पहुंचाई जाए।
ड्राइवरों को बोनस, कर्मचारियों को प्रोत्साहन
महाकुंभ सेवाओं में लगे परिवहन निगम के ड्राइवरों और परिचालकों को ₹10,000 का विशेष बोनस दिया गया है। यह कदम सेवा समर्पण और कर्मचारी कल्याण की दिशा में एक सराहनीय पहल मानी जा रही है।
फर्जी परमिट पर सख्त कार्रवाई
परिवहन विभाग ने नेपाल बॉर्डर और अन्य मार्गों पर चल रही फर्जी परमिट वाली बसों पर कड़ी कार्रवाई की है। दर्जनों मुकदमे दर्ज किए गए हैं और मामले की जांच के लिए STF को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे अवैध परिचालन पर लगाम कसने की कोशिश की गई है।
प्रशासनिक सशक्तिकरण और डिजिटल नवाचार
2025 की पहली छमाही में 11 RTO और 24 ARTO अधिकारियों का तबादला किया गया। लखनऊ में प्रभात पांडेय को आरटीओ प्रवर्तन के रूप में नियुक्त किया गया है। विभाग द्वारा विकसित चैटबॉट, CSC सेवा, और डिजिटल पोर्टल्स को ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ के रूप में देशभर में प्रस्तुत किया गया है।
रोड सेफ्टी के लिए AI-आधारित प्रणाली
लखनऊ में आयोजित 25वीं राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा संगोष्ठी में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली की सराहना की गई। इस दौरान राज्य को केंद्र सरकार से ₹10 करोड़ के अनुदान के साथ AI-पावर्ड रोड सेफ्टी प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली। यह सिस्टम दुर्घटना विश्लेषण, टेलीमैटिक्स और ई-चालान को एकीकृत करेगा।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने वर्ष 2025 के पहले सात महीनों में डिजिटलीकरण, ई-मोबिलिटी, सेवा सुधार और सुरक्षा उपायों के क्षेत्र में जो उपलब्धियाँ दर्ज की हैं, वे भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती हैं। विभाग की यह सक्रियता और नवाचार की दिशा प्रदेश को स्मार्ट एवं टिकाऊ परिवहन व्यवस्था की ओर अग्रसर कर रहे हैं।
