उर्जित पटेल: आरबीआई से IMF तक का सफर, भारत का करेंगे प्रतिनिधित्व

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भारत सरकार ने पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) गवर्नर डॉ. उर्जित राविंद्र पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में कार्यकारी निदेशक (Executive Director) नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए की गई है। इस जिम्मेदारी के तहत वे IMF के बोर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर नीति निर्धारण में भागीदारी करेंगे।

शैक्षिक पृष्ठभूमि और शुरुआती सफर

उर्जित पटेल का जन्म 1963 में हुआ। वे एक प्रशिक्षित अर्थशास्त्री हैं और उनकी शिक्षा बेहद प्रतिष्ठित संस्थानों से हुई है। उन्होंने London School of Economics से स्नातक किया, Oxford University के Linacre College से M.Phil. और Yale University से अर्थशास्त्र में Ph.D. की डिग्री हासिल की।

पटेल ने अपने करियर की शुरुआत IMF से की, जहां उन्होंने बतौर अर्थशास्त्री काम किया। इसके बाद उन्होंने कई शैक्षणिक और शोध संस्थानों से जुड़कर नीतिगत और आर्थिक मामलों में योगदान दिया। वे निजी और सरकारी क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा चुके हैं।

RBI में योगदान

उर्जित पटेल 2013 में भारतीय रिज़र्व बैंक से जुड़े और बतौर डिप्टी गवर्नर उन्होंने मौद्रिक नीति से जुड़े मामलों में अहम भूमिका निभाई। सितंबर 2016 में उन्हें देश का 24वां आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया।

उनके कार्यकाल में भारत में मौद्रिक नीति के ढांचे को मज़बूती मिली और मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण (Inflation Targeting) प्रणाली पर विशेष ध्यान दिया गया। इससे आरबीआई की नीतियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी।

इस्तीफा और विवाद

हालांकि, डॉ. पटेल ने दिसंबर 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। आधिकारिक तौर पर उन्होंने “व्यक्तिगत कारणों” को इसकी वजह बताया, लेकिन उस समय केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच नीतिगत टकराव चर्चा का विषय बना रहा।

कहा जाता है कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA), आरबीआई के आरक्षित फंड और नियामकीय स्वायत्तता जैसे मुद्दों पर दोनों के बीच मतभेद सामने आए।

IMF में नई जिम्मेदारी

अब, डॉ. पटेल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भारत का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है। इस भूमिका में वे न केवल भारत, बल्कि निर्वाचन क्षेत्र के अन्य देशों का भी प्रतिनिधित्व करेंगे। IMF के बोर्ड में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी, जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था, मौद्रिक नीति, वित्तीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जुड़े अहम फैसले लिए जाते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पटेल का अनुभव भारत की आवाज़ को IMF जैसे वैश्विक मंच पर और मजबूत करेगा। आरबीआई गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल और पहले IMF में बिताए वर्षों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की कार्यप्रणाली की गहरी समझ दी है।

करियर का संक्षिप्त सारांश

1963: जन्म

1990: Yale University से Ph.D. (Economics)

1990s–2000s: IMF और अन्य वैश्विक संस्थाओं में कार्य

2013: आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बने

2016–2018: भारत के 24वें आरबीआई गवर्नर

2018: आरबीआई से इस्तीफा

2025: IMF के कार्यकारी निदेशक नियुक्त

निष्कर्ष

डॉ. उर्जित पटेल का सफर एक ऐसे अर्थशास्त्री का है जिसने शिक्षा, शोध, केंद्रीय बैंकिंग और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपनी विशेषज्ञता दिखाई है। उनकी नई जिम्मेदारी न केवल भारत बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के लिए अहम साबित होगी। IMF में उनका अनुभव और दृष्टिकोण भारत की स्थिति को और मज़बूत करेगा और यह नियुक्ति भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

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