भारत–फिलीपींस संबंधों में नई ऊर्जा, राष्ट्रपति मार्कोस की यात्रा में होंगे कई समझौते

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फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड आर. मार्कोस जूनियर रविवार शाम को भारत पहुंचे। यह उनकी पहली राजकीय भारत यात्रा है, जो 4 अगस्त से 8 अगस्त 2025 तक चलेगी। उनका स्वागत पारंपरिक भारतीय रीति से किया गया, जिसमें गार्ड ऑफ ऑनर और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ शामिल थीं।उनके साथ प्रथम महिला लुईस मार्कोस, कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री, रक्षा एवं व्यापार अधिकारियों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल, और फिलीपींस के प्रमुख उद्योगपतियों का दल भी आया है।

4 अगस्त नई दिल्ली में आगमन, औपचारिक स्वागत

5 अगस्त पीएम मोदी से मुलाकात, द्विपक्षीय वार्ता और संयुक्त प्रेस बयान

6 अगस्त राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट, विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर

7 अगस्त विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से उच्च स्तरीय वार्ता

8 अगस्त बेंगलुरु में इनोवेशन कंपनियों और उद्योगपतियों से संवाद

भारत–फिलीपींस संबंध: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत और फिलीपींस के बीच कूटनीतिक संबंध नवंबर 1949 में स्थापित हुए थे। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह अवसर भारत की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” और फिलीपींस की “मल्टी–वेक्टर फॉरेन पॉलिसी” को और मजबूत बनाने में मददगार सिद्ध हो सकता है।

 यात्रा के मुख्य उद्देश्य

1. रक्षा और रणनीतिक साझेदारी

भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग इस यात्रा का सबसे प्रमुख पहलू है। फिलीपींस पहले ही भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली की पहली खेप खरीद चुका है, जो भारत की रक्षा निर्यात नीति के तहत अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। उम्मीद की जा रही है कि इस यात्रा में अतिरिक्त रक्षा उपकरणों, नौसैनिक प्रणालियों और प्रशिक्षण साझेदारी पर समझौते हो सकते हैं।

2. समुद्री सुरक्षा सहयोग

दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक रुख के मद्देनज़र, फिलीपींस भारत को एक भरोसेमंद सामरिक साझेदार के रूप में देख रहा है। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और कानून आधारित व्यवस्था बनाए रखने को लेकर एकमत हैं।

3. आर्थिक और व्यापारिक सहयोग

भारत और फिलीपींस के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान में लगभग 2.5 बिलियन डॉलर है। राष्ट्रपति मार्कोस की यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार को डिजिटल तकनीक, स्वास्थ्य, फार्मा, टूरिज्म, एग्रीटेक, शिक्षा, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में नया विस्तार दे सकती है।

4. सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध

इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच शिक्षा, छात्रवृत्ति, और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को लेकर भी समझौते होने की संभावना है। तगालोग भाषा में पाए जाने वाले संस्कृत मूल के शब्द और भारत में बौद्ध तीर्थस्थलों के प्रति फिलीपींस के लोगों की आस्था, सांस्कृतिक निकटता का उदाहरण हैं।

भारत की रक्षा नीति को बल

राष्ट्रपति मार्कोस की इस यात्रा से भारत की रक्षा निर्यात नीति को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की संभावना है। “मेक इन इंडिया फॉर वर्ल्ड” के तहत भारत अपने रक्षा उत्पादों को मित्र देशों को निर्यात करने पर जोर दे रहा है। इस यात्रा के दौरान हथियार प्रणाली, ड्रोन तकनीक, और आईटी बेस्ड डिफेंस समाधान में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौते हो सकते हैं।दोनों देश QUAD और ASEAN जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के प्रयासों में भागीदार हैं। भारत की Indo-Pacific Oceans Initiative और फिलीपींस की समुद्री स्वतंत्रता नीति दोनों देशों के बीच सामुद्रिक सहयोग को मजबूती देती हैं।

बेंगलुरु में होगा ‘टेक संवाद’

राष्ट्रपति मार्कोस यात्रा के अंतिम दिन बेंगलुरु जाएंगे, जहाँ वे भारत की स्टार्टअप और तकनीकी कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलेंगे। इसका उद्देश्य डिजिटल सहयोग, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रपति मार्कोस का बयान

भारत यात्रा पर रवाना होने से पहले राष्ट्रपति मार्कोस ने कहा : “भारत और फिलीपींस लोकतंत्र, आपसी सम्मान और साझा रणनीतिक हितों की मजबूत नींव पर आधारित रिश्तों को और सशक्त करेंगे। यह यात्रा नए युग की शुरुआत है।”

निष्कर्ष

फिलीपींस के राष्ट्रपति की यह यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों को सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी के एक नए अध्याय में बदलने का अवसर है। इस यात्रा से रक्षा, व्यापार, तकनीक और कूटनीतिक संबंधों में नई ऊर्जा आएगी और भारत–फिलीपींस मित्रता को नई ऊंचाई मिलेगी।

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