ट्रंप के टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक: पूर्व IMF मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ की कड़ी आलोचना

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री और वर्तमान में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर गीता गोपीनाथ ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान लागू किए गए आयात शुल्क (टैरिफ) नीतियों का असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक रहा है और इनसे उपभोक्ताओं व घरेलू कंपनियों दोनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। गोपीनाथ ने कहा कि भले ही इन टैरिफों से सरकार को कुछ अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ हो, लेकिन इसका वास्तविक भार अमेरिकी व्यापारिक संस्थानों और आम नागरिकों पर पड़ा है।

गोपीनाथ के अनुसार, इन टैरिफों ने अमेरिकी उत्पादकों की लागत बढ़ा दी है, जिससे प्रतिस्पर्धा घटने लगी और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई। उन्होंने इसे “नेगेटिव स्कोरकार्ड” बताते हुए कहा कि यह नीति न तो व्यापार घाटे को कम करने में सफल रही और न ही घरेलू उद्योगों को अपेक्षित लाभ मिला। उनका कहना है कि ऐसे कदम अल्पकालिक राजनीतिक लाभ तो दे सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह अर्थव्यवस्था को कमजोर करते हैं।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने भी अपनी हालिया रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अमेरिकी टैरिफों की वजह से 2026 तक वैश्विक व्यापार की गति और सुस्ती पकड़ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का संतुलन बिगड़ सकता है। इसी क्रम में विश्व बैंक ने भी कहा है कि इन नीतियों का असर न केवल अमेरिका, बल्कि भारत जैसे विकासशील देशों के निर्यात क्षेत्रों पर भी दिखाई दे सकता है, खासतौर पर कपड़ा, रत्न और आभूषण जैसे श्रम-आधारित उद्योगों में।

आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने अमेरिका की उत्पादन लागत बढ़ाकर वहां की प्रतिस्पर्धा को कमजोर किया है। इससे घरेलू कंपनियों पर कर-जैसा प्रभाव पड़ा, क्योंकि उन्हें ऊंची लागत पर आयात करना पड़ा और इस अतिरिक्त बोझ को उन्होंने उपभोक्ताओं तक पहुंचा दिया। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि ऐसी नीतियां जारी रहती हैं, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ सकता है तथा वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बनी रहेगी।

कुल मिलाकर, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी सरकार को तो तत्काल राजस्व लाभ मिला, लेकिन दीर्घकालिक रूप से इससे आर्थिक स्थिरता और वैश्विक व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचा है। गीता गोपीनाथ सहित कई अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री अब इस नीति की पुनर्समीक्षा की मांग कर रहे हैं, ताकि अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदार देशों की अर्थव्यवस्थाएं फिर से संतुलन की ओर लौट सकें।

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