भावनगर (गुजरात), 20 सितंबर 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गुजरात के भावनगर में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में देश को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत को अब हर क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण पर ध्यान देना होगा और विदेशी निर्भरता से बाहर निकलना होगा। अपने संबोधन में उन्होंने विशेष रूप से सेमीकंडक्टर चिप्स और जहाज निर्माण का उदाहरण देते हुए कहा कि “चिप हो या शिप, अब सब भारत में ही बनेगा।” पीएम मोदी ने विदेशी निर्भरता को देश का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए स्पष्ट किया कि आने वाले समय में भारत को अपनी तकनीकी और औद्योगिक क्षमता खुद के दम पर खड़ी करनी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक लागू रही पुरानी नीतियों और नियमों ने भारत की संभावनाओं को सीमित किया। अब समय है कि देश पुराने ढर्रे को छोड़कर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी मजबूत भूमिका स्थापित करे। उन्होंने उद्योगपतियों, वैज्ञानिकों और युवाओं से आह्वान किया कि वे इस चुनौती को अवसर में बदलें और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं।
भावनगर दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने लगभग ₹34,200 करोड़ की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया। इनमें समुद्री और पोर्ट-सम्बन्धी परियोजनाएं भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह योजनाएं ‘समुद्र से समृद्धि’ की अवधारणा से जुड़ी हैं और इनसे तटीय विकास, शिपबिल्डिंग और पोर्ट-लेड इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री की यह घोषणा ऐसे समय आई है जब सरकार पहले ही सेमीकंडक्टर निर्माण को लेकर कई अहम कदम उठा चुकी है। अगस्त 2025 में पीएम मोदी ने यह वादा किया था कि ‘मेड-इन-इंडिया’ सेमीकंडक्टर चिप्स इस साल के अंत तक बाजार में आएंगे। इस पृष्ठभूमि में आज का उनका संदेश आत्मनिर्भर भारत मिशन को अगले चरण की ओर ले जाने वाला माना जा रहा है।
खबरों के मुताबिक सरकार शिपबिल्डिंग और समुद्री ढांचे के लिए एक बड़े पैकेज की तैयारी कर रही है, जिसकी अनुमानित राशि ₹70,000 करोड़ बताई जा रही है। इस पैकेज का उद्देश्य घरेलू जहाज निर्माण, शिप-ब्रेकिंग और पोर्ट-लिंक्ड प्रोजेक्ट्स को नई दिशा देना है। इससे इस सेक्टर में बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार सृजन की संभावनाएं खुलेंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल घोषणाओं से काम नहीं चलेगा, बल्कि असली चुनौती इन्हें जमीन पर लागू करने की होगी। सेमीकंडक्टर फेब्स, पैकेजिंग इकाइयों और आधुनिक शिपयार्ड्स जैसी सुविधाओं के लिए बड़े निवेश, उन्नत तकनीक और दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। अगर सरकार स्थिर नीतिगत ढांचा और उद्योगों को प्रोत्साहन देने वाले कदम उठाती है, तो वैश्विक सप्लाई-चेन में भारत की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ है—भारत को अपनी ताकत खुद बनानी होगी। आने वाले वर्षों में यदि ये नीतियां और योजनाएं सफलतापूर्वक लागू होती हैं, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि उच्च-तकनीकी और औद्योगिक ताकत के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी पहचान और मजबूत करेगा।
