चुनाव आयोग बनाम राहुल गांधी विवाद: वोट डिलीट के आरोप पर आयोग का सख्त जवाब

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया कि कर्नाटक के आलन्द समेत कई निर्वाचन क्षेत्रों में हजारों मतदाताओं के नाम एक केंद्रीकृत सॉफ़्टवेयर के ज़रिए हटाए गए। राहुल ने दावा किया कि मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर वोट डिलीट करने में फर्जी मोबाइल नंबरों और अनधिकृत लॉगिन का इस्तेमाल हुआ। उन्होंने इसे लोकतंत्र के साथ छेड़छाड़ करार देते हुए चुनाव आयोग पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।

निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को पूरी तरह नकार दिया। आयोग ने कहा कि मतदाता सूची में किसी भी तरह का विलोपन (deletion) ऑनलाइन क्लिक से संभव नहीं है। यह एक विधिक और पारदर्शी प्रक्रिया है जिसमें पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा जाता है, फिर उसकी आपत्ति और जवाब सुना जाता है। इसके बाद ही नाम हटाने या बरकरार रखने का फैसला लिया जाता है। आयोग ने स्पष्ट कहा कि “किसी मतदाता का नाम ऑनलाइन डिलीट नहीं किया जा सकता, सभी आरोप निराधार हैं।”

आयोग ने यह भी जानकारी दी कि 2023 में कर्नाटक के आलन्द क्षेत्र में मतदाता हटाने की एक असफल कोशिश जरूर हुई थी। इस मामले की जांच के लिए आयोग ने पहले ही एफआईआर दर्ज कराई थी और उस घटना को “गंभीर लेकिन असफल प्रयास” बताया था। आयोग ने राहुल गांधी से अपील की है कि वे यदि अपने आरोपों पर अडिग हैं तो ठोस सबूत और शपथ-पत्र पेश करें, अन्यथा इन बयानों को केवल राजनीतिक बयानबाजी माना जाएगा।

मतदाता सूची विलोपन की प्रक्रिया

मतदाता सूची का अपडेट हर वर्ष किया जाता है और यह प्रक्रिया मुख्य रूप से बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और निर्वाचन अधिकारियों की निगरानी में होती है। यदि किसी मतदाता का नाम हटाना हो तो कारण दर्ज करना आवश्यक है, जैसे—

मतदाता का निधन

दोहरी प्रविष्टि (duplicate entry)

स्थानांतरण और नए क्षेत्र में पंजीकरण

किसी नाम को हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति को नोटिस भेजा जाता है। यदि व्यक्ति उपस्थित नहीं होता या पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत नहीं करता, तभी नाम हटाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में किसी “ऑनलाइन सॉफ़्टवेयर” या “रिमोट लॉगिन” से वोट डिलीट करने का कोई प्रावधान नहीं है।

सुरक्षा और तकनीकी उपाय

भारत का चुनाव आयोग “इलेक्ट्रोरल रोल मैनेजमेंट सिस्टम (ERMS)” और “National Voter Service Portal (NVSP)” का इस्तेमाल करता है। इनमें सभी लॉगिन और बदलाव रिकॉर्ड होते हैं और उनकी निगरानी उच्च स्तर पर होती है। हर राज्य में डेटा की जिम्मेदारी मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास होती है। इसके अलावा नाम हटाने या जोड़ने की सभी प्रक्रिया पर स्थानीय चुनाव पर्यवेक्षक की नज़र रहती है।

राजनीतिक असर

राहुल गांधी के आरोपों और आयोग के जवाब ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। विपक्षी दल इसे गंभीर मामला बताते हुए जांच की मांग कर रहे हैं, जबकि आयोग का कहना है कि मतदाता सूची पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी है। यह विवाद आने वाले समय में राजनीतिक विमर्श और चुनावी माहौल को और गरमा सकता है।

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