जीएसटी सुधारों पर सीतारमण का बड़ा बयान: राज्यों को धन्यवाद, विपक्ष पर निशाना

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नई दिल्ली। हाल ही में हुए जीएसटी (GST) सुधारों के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों का विशेष रूप से आभार जताया और विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल में लिए गए फैसले पूरी तरह पारदर्शी हैं और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

सीतारमण ने स्पष्ट किया कि जीएसटी सुधार संघीय ढांचे की भावना के अनुरूप किए गए हैं। राज्यों ने व्यापक सहयोग दिया और इन सुधारों को ‘राष्ट्रीय हित’ में लागू करने पर सहमति जताई। उनके अनुसार, इन कदमों से कर प्रणाली को सरल और संतुलित बनाने की दिशा में बड़ी प्रगति होगी।

जीएसटी काउंसिल द्वारा हाल ही में कर ढांचे को आसान बनाने के लिए कुछ बड़े फैसले लिए गए हैं। कई कर स्लैबों को समेकित कर मुख्य रूप से 5% और 18% जैसी दरों की ओर बढ़ा गया है। सरकार का दावा है कि इससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और छोटे कारोबारियों को कर अनुपालन में आसानी होगी।

विशिष्ट क्षेत्रों को भी इस सुधार से सीधी राहत दी गई है। उदाहरण के तौर पर, मनमेड टेक्सटाइल्स और उर्वरक इनपुट्स पर कर दरों में बदलाव कर इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इससे इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या कम होगी और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती मिलेगी।

सीतारमण ने कहा कि सरकार का लक्ष्य “जीएसटी 2.0” जैसे सुधारों के माध्यम से कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी, टिकाऊ और आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप बनाना है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह तथ्यों को नज़रअंदाज़ कर राजनीतिक लाभ के लिए जनता को भड़काने का काम कर रहा है।

विपक्षी दलों ने इस सुधार को चुनावी संदर्भों से जोड़ते हुए कहा कि ये कदम सिर्फ राजनीतिक मकसद से उठाए गए हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह फैसले लंबी अवधि की रणनीति और गहन आर्थिक विश्लेषण पर आधारित हैं, न कि किसी चुनावी उद्देश्य से।

सरकार को उम्मीद है कि इन सुधारों से उपभोग और व्यापार दोनों में तेजी आएगी। इससे कर संग्रह में होने वाले अस्थायी कमी को बढ़ती खपत और आसान अनुपालन से संतुलित किया जा सकेगा। राज्यों ने भी इस पर सहमति जताते हुए केंद्र के साथ खड़े होने का भरोसा दिया है।

वित्त मंत्री ने अंत में कहा कि जीएसटी सुधार सिर्फ कर दरों का पुनर्गठन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा प्रयास है जिससे देश की आर्थिक व्यवस्था को और मजबूत व प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा।

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