ट्रम्प का बड़ा बयान: “मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूँगा, भारत-अमेरिका के रिश्ते खास”

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नई दिल्ली, भारत और अमेरिका के बीच हाल के दिनों में उपजे तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसा बयान दिया है जिसने पूरे अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य का रुख बदल दिया है। ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि वे हमेशा उनके दोस्त रहेंगे और भारत-अमेरिका का रिश्ता “बहुत खास” है। उनके इस बयान ने यह संदेश दिया कि दोनों देशों के बीच मौजूद मतभेद अस्थायी हैं और साझेदारी की बुनियाद मजबूत है।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “मैं हमेशा रहूँगा। मैं हमेशा प्रधानमंत्री मोदी का दोस्त रहूँगा। वह एक महान प्रधानमंत्री हैं। भारत और अमेरिका का रिश्ता बहुत स्पेशल है। कभी-कभी कुछ ऐसे पल आते हैं जिनमें मतभेद दिखते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रिश्ते कमजोर हो गए हैं।” यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल के हफ्तों में अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ, ऊर्जा आयात और रणनीतिक मुद्दों को लेकर मतभेद खुलकर सामने आए थे। ट्रम्प ने यह भी इशारा किया कि उन्हें भारत की कुछ नीतियों से आपत्ति है, लेकिन इससे रिश्तों की स्थिरता प्रभावित नहीं होगी।

तनाव की मुख्य वजहों में रूस से भारत का ऊर्जा आयात और व्यापारिक टैरिफ विवाद शामिल हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत रूस पर अपनी ऊर्जा निर्भरता कम करे, जबकि भारत का कहना है कि उसे अपनी ऊर्जा सुरक्षा और सस्ते तेल की आवश्यकता है। इसी तरह अमेरिका और भारत के बीच कुछ उत्पादों पर शुल्क को लेकर असहमति बनी हुई है। इन मुद्दों पर दोनों देशों की प्राथमिकताएँ अलग-अलग हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनसे रिश्ते की मजबूती पर कोई स्थायी असर नहीं पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रम्प के बयान का स्वागत किया और कहा कि वे राष्ट्रपति ट्रम्प की भावनाओं की सराहना करते हैं। उन्होंने दोहराया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी कायम है, जो न केवल द्विपक्षीय संबंधों बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी अहम है। मोदी सरकार का मानना है कि भारत को “मल्टी-एलाइनमेंट” की नीति अपनानी होगी, यानी अमेरिका, रूस और यूरोप — सभी के साथ संतुलित रिश्ते बनाए रखने होंगे।

ट्रम्प का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि मोदी और ट्रम्प के बीच व्यक्तिगत स्तर पर गहरा भरोसा है। भले ही व्यापार और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर असहमति हो, लेकिन दोनों देशों की साझेदारी के दीर्घकालिक हित कहीं अधिक मजबूत हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प का यह बयान अमेरिकी-भारतीय समुदाय (Indian Diaspora) को साधने की कोशिश भी हो सकता है, जो अमेरिका की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा यह वैश्विक स्तर पर भी एक संदेश है कि भारत-अमेरिका के रिश्तों में दरार नहीं आई है।

आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय वार्ताओं की उम्मीद है। व्यापारिक मतभेदों को बातचीत से सुलझाने की कोशिश होगी। रक्षा और तकनीकी सहयोग को और गहरा किया जाएगा। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव जैसी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और अमेरिका मिलकर रणनीति तैयार करेंगे।

कुल मिलाकर राष्ट्रपति ट्रम्प का यह बयान केवल एक कूटनीतिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत-अमेरिका रिश्तों की गहराई और भविष्य का संकेत है। मतभेदों के बावजूद मोदी-ट्रम्प की दोस्ती और दोनों देशों के साझा हित यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी और मजबूत होती रहे।

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