भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों और तकनीकी खामियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। शीर्ष अदालत ने कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और केंद्र सरकार से इस मामले में औपचारिक जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि कई राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में पारदर्शिता की कमी है और तृतीय पक्ष एजेंसियों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में तकनीकी खामियों के कारण उम्मीदवारों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।
याचिकाकर्ता निखिल कुमार ने अदालत से मांग की है कि भर्ती परीक्षाओं के संचालन की प्रक्रिया में सुधार लाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि परीक्षाएँ निष्पक्ष और भरोसेमंद तरीके से हों। उनका कहना है कि मौजूदा खामियों से परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो रहे हैं और लाखों युवाओं का भविष्य संकट में पड़ रहा है।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रकार के आरोप गंभीर हैं और इन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। अदालत ने SSC और केंद्र से जवाब मांगते हुए अगली सुनवाई के लिए 28 अक्टूबर की तारीख तय की है।
इससे पहले भी भर्ती परीक्षाओं को लेकर कई विवाद सामने आ चुके हैं। पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) भर्ती घोटाले जैसे मामलों ने परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि अनियमितताओं से जुड़े ‘‘tainted’’ उम्मीदवारों को भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से रोका जाएगा।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का यह सख्त रुख भर्ती परीक्षाओं के संचालन में बड़े बदलाव की राह खोल सकता है। आने वाले समय में केंद्र और SSC से अपेक्षा की जा रही है कि वे तृतीय-पक्ष परीक्षा एजेंसियों की जवाबदेही तय करने, तकनीकी खामियों की जांच और परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ठोस कदम सुझाएँगे।
इस मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी। तब तक अदालत केंद्र और SSC के जवाबों तथा प्रस्तावित सुधारों पर विचार करेगी। माना जा रहा है कि शीर्ष अदालत के निर्देशों का असर आने वाली कई भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर पड़ेगा।
