SCO शिखर सम्मेलन: पुतिन ने भारत-चीन के शांति प्रयासों की सराहना, अमेरिका के ‘Modi’s War’ बयान को नकारा

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तियानजिन (चीन) में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन संकट के समाधान को लेकर भारत और चीन के कूटनीतिक प्रयासों की खुलकर सराहना की। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष का स्थायी समाधान केवल युद्धविराम या अस्थायी समझौते से संभव नहीं है, बल्कि इसके लिए सुरक्षा और भू-राजनीतिक संतुलन के गहरे कारणों को समझना और उनका समाधान करना आवश्यक है।

पुतिन का स्पष्ट संदेश

अपने संबोधन में पुतिन ने पश्चिमी नीतियों और नाटो के पूर्वी विस्तार को यूक्रेन युद्ध का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि केवल लक्षणों पर चर्चा करने के बजाय संघर्ष की जड़ों पर ध्यान देना होगा। रूस के राष्ट्रपति ने चीन और भारत द्वारा शांति स्थापित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि इन देशों ने हमेशा संवाद और कूटनीति का रास्ता अपनाया है।

अमेरिका के विवादित बयान पर अप्रत्यक्ष जवाब

हाल ही में अमेरिका के एक वरिष्ठ सलाहकार ने भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर आलोचना की थी और यूक्रेन युद्ध को विवादित रूप से “Modi’s War” करार दिया था। इस बयान की भारत में तीखी आलोचना हुई और इसे भारत की संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता पर सवाल उठाने जैसा माना गया। पुतिन ने अपने भाषण में इस तरह की एकतरफा आलोचनाओं से अलग रुख अपनाते हुए भारत और चीन की सराहना की और पश्चिमी आरोपों की बजाय कूटनीतिक समाधान पर बल दिया।

भारत की रणनीतिक स्वायत्तता

भारत पिछले कई महीनों से रूस से सस्ते कच्चे तेल का आयात जारी रखे हुए है। अमेरिका और यूरोप की आलोचना के बावजूद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता अपनी ऊर्जा सुरक्षा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकातों में भी यही संकेत मिले हैं कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा और बहुपक्षीय मंचों पर संवाद की राह को महत्व देगा।

वैश्विक समीकरण और SCO की भूमिका

SCO मंच पर पुतिन का यह रुख स्पष्ट करता है कि रूस एशियाई देशों के साथ मिलकर बहुपक्षीय संवाद को मजबूत करना चाहता है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर सभी पक्ष नाटो विस्तार और सुरक्षा गारंटी जैसे मुद्दों पर ईमानदारी से बातचीत करने के लिए तैयार हों, तो शांति वार्ता की दिशा में प्रगति संभव है।

निष्कर्ष

SCO शिखर सम्मेलन में पुतिन के बयान ने भारत की कूटनीतिक भूमिका को और मजबूती दी है। एक तरफ अमेरिका-भारत संबंधों में हालिया तनाव दिखाई देता है, वहीं दूसरी ओर रूस और चीन ने भारत के प्रयासों को सकारात्मक रूप से सामने रखा है। यह साफ संकेत है कि आने वाले समय में भारत की वैश्विक स्थिति “रणनीतिक संतुलनकारी शक्ति” के रूप में और मजबूत हो सकती है।

 

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