नरसिंहपुर, 31 अगस्त 2025 — मध्य प्रदेश में धार्मिक हलकों में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बाबा बागेश्वर) ने सार्वजनिक मंच से आरोप लगाया कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती उन्हें गालियाँ देते हैं। इस बयान ने संत समाज और अनुयायियों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है।
बाबा बागेश्वर का बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उनके खिलाफ बार-बार अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने साफ किया कि ये व्यक्तिगत हमले हैं, जिनसे उनके अनुयायियों की भावनाएँ आहत हो रही हैं।
शंकराचार्य के समर्थकों की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद शंकराचार्य के अनुयायियों और सहयोगी संतों ने कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि “शंकराचार्य जैसे पद पर बैठे संत कभी किसी को गाली नहीं दे सकते।”
गोतेगांव के परमहंसी गंगा आश्रम से जुड़े सोहन तिवारी ने बागेश्वर बाबा से मांग की कि यदि ऐसा हुआ है तो वे प्रमाण प्रस्तुत करें, अन्यथा धार्मिक सौहार्द को नुकसान न पहुँचाएँ।
संवाद और कानूनी चुनौती
शंकराचार्य के पक्ष से यह भी कहा गया कि यदि बिना प्रमाण इस तरह के आरोप लगाए गए तो मानहानि का मामला भी उठ सकता है। वहीं कई संतों और सामाजिक संगठनों ने अपील की है कि दोनों पक्ष बातचीत और शांति के रास्ते से आगे बढ़ें।
सामाजिक और राजनीतिक असर
बाबा बागेश्वर अपने प्रवचनों और लोकप्रियता के कारण अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। कई बार उनके बयान विवादों में भी घिर चुके हैं। इस ताज़ा विवाद ने एक बार फिर धार्मिक नेताओं की सार्वजनिक अभिव्यक्ति और उसके सामाजिक असर पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय राजनीतिक संगठनों ने संयम बरतने की अपील की है, जबकि सोशल मीडिया पर समर्थक और विरोधी दोनों तरह की पोस्टें वायरल हो रही हैं।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद तीन दिशाओं में जा सकता है—
1. संवाद का रास्ता: दोनों पक्ष मिलकर चर्चा से मसले को सुलझाएँ।
2. कानूनी दखल: अगर प्रमाण और बयानबाजी अदालत तक जाती है तो मामला कानूनी मोड़ ले सकता है।
3. मध्यस्थता: स्थानीय धार्मिक संस्थान या संगठन बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर सकते हैं।
निष्कर्ष
धर्मगुरुओं के बयानों का असर आमजन की आस्था और समाज की एकता पर गहराई से पड़ता है। ऐसे में इस विवाद का समाधान तथ्यों और शांति-पूर्ण संवाद से ही संभव है।
