अमेरिका का 50% टैरिफ: भारतीय श्रम-आधारित उद्योगों पर बड़ा झटका

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नई दिल्ली। भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर अब 50% तक का टैरिफ लागू हो गया है। यह निर्णय अमेरिकी प्रशासन ने 27 अगस्त 2025 से प्रभावी किया है। दरअसल, अमेरिका ने पहले ही अगस्त की शुरुआत में 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था, और अब नए आदेश से यह दर दोगुनी होकर 50% तक पहुँच गई है। अमेरिका का कहना है कि यह कदम भारत की रूसी तेल खरीदारी के जवाब में उठाया गया है।

किन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर

यह टैरिफ मुख्य रूप से उन क्षेत्रों पर असर डालेगा जिनका उत्पादन श्रम पर आधारित है और जिनकी पहचान कम कीमत वाले निर्यात उत्पादों से होती है। इनमें रेडी-मेड कपड़े, चमड़ा, डायमंड-ज्वेलरी, समुद्री उत्पाद (खासकर झींगा), फर्नीचर और इंजीनियरिंग से जुड़ी कई वस्तुएँ शामिल हैं। इन उद्योगों में लाखों कारीगर और असंगठित श्रमिक काम करते हैं।

रोजगार और उत्पादन पर दबाव

विशेषज्ञों का कहना है कि 50% शुल्क लगने से अमेरिका में भारतीय सामान महँगा हो जाएगा। इससे अमेरिकी आयातक कम ऑर्डर देंगे या फिर भारतीय निर्यातकों को अपने मार्जिन घटाने होंगे। दोनों ही स्थितियों में निर्यात घटने की संभावना है। परिणामस्वरूप उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा और नौकरियों पर खतरा मंडराएगा। खासकर टेक्सटाइल हब (तमिलनाडु, गुजरात), डायमंड पॉलिशिंग (सूरत), झींगा उत्पादन (आंध्र प्रदेश, ओडिशा), चमड़ा उद्योग (उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल) जैसे इलाकों में बेरोज़गारी की समस्या बढ़ सकती है।

छोटे उद्योगों पर संकट

भारत के श्रम-आधारित उद्योगों का बड़ा हिस्सा छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) पर टिका है। ऑर्डर कम होने पर इन यूनिटों को कच्चा माल खरीदने, मजदूरी देने और बैंकों का कर्ज चुकाने में दिक्कत होगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी दबाव बढ़ेगा और कई यूनिटें बंद होने के कगार पर पहुँच सकती हैं।

अर्थव्यवस्था पर असर

रेटिंग एजेंसियों और विश्लेषकों का मानना है कि इन टैरिफों से भारत की जीडीपी ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ेगा। अनुमान है कि विकास दर 0.5% से लेकर 0.8% तक प्रभावित हो सकती है। टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई और रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ।

सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

भारतीय सरकार ने संकेत दिया है कि वह प्रभावित सेक्टरों के लिए वित्तीय सहायता और एक्सपोर्ट-क्रेडिट सब्सिडी जैसे कदम उठा सकती है। साथ ही अमेरिका से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत और WTO जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपील की संभावना भी जताई गई है।

वहीं उद्योग संगठनों ने इस फैसले को “झटका” बताते हुए सरकार से त्वरित राहत पैकेज की मांग की है। डायमंड, टेक्सटाइल और सीफूड निर्यातकों का कहना है कि उन्हें ऑर्डर दोबारा तय करने पड़ रहे हैं और नए बाजारों की तलाश करनी होगी।

निष्कर्ष

अमेरिका द्वारा लगाया गया यह 50% टैरिफ भारतीय निर्यात के लिए एक गंभीर चुनौती है। सबसे बड़ा नुकसान श्रम-आधारित उद्योगों को होगा, जहाँ लाखों लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार पाते हैं। आने वाले महीनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार कितनी जल्दी राहत उपायों और नए बाजारों की रणनीति लागू करती है, क्योंकि बिना त्वरित कदमों के लाखों श्रमिकों की रोज़ी-रोटी पर खतरा मंडरा सकता है।

 

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