पश्चिम बंगाल का बहुचर्चित स्कूल भर्ती घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। इस घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार सुबह तृणमूल कांग्रेस (TMC) के विधायक जीवन कृष्ण साहा के मुर्शिदाबाद स्थित घर और उनसे जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान एक नाटकीय घटना भी हुई, जब विधायक ने कथित तौर पर दीवार फांदकर भागने की कोशिश की, लेकिन ED की टीम ने उन्हें रोक लिया।
छापेमारी की वजह और ED का फोकस
ED यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में कर रही है। आरोप है कि स्कूल भर्ती प्रक्रिया में रिश्वत और अवैध लेन-देन का बड़ा जाल बिछाया गया था। ED को शक है कि इस घोटाले से जुड़ा पैसा बेनामी खातों और निवेशों के जरिए इधर-उधर किया गया। छापेमारी के दौरान एजेंसी ने विधायक साहा और उनके सहयोगियों के घरों से मोबाइल फोन, लैपटॉप और कई दस्तावेज़ कब्जे में लिए हैं, जिनकी अब जांच होगी।
विधायक साहा का विवादों से रिश्ता
जीवन कृष्ण साहा का नाम इस घोटाले में पहले भी आ चुका है।
अप्रैल 2023 में उन्हें CBI ने इसी मामले में गिरफ्तार किया था।
कुछ महीनों बाद उन्हें अदालत से जमानत मिली, लेकिन केस से उनका नाम हटाया नहीं गया।
अब ED की छापेमारी ने उनके ऊपर एक बार फिर दबाव बढ़ा दिया है।
स्कूल भर्ती घोटाले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2016–2021 के बीच हुई शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती से जुड़ा है। आरोप है कि योग्य उम्मीदवारों को नज़रअंदाज़ कर बड़ी संख्या में लोगों को पैसे लेकर नौकरी दी गई।
CBI इस घोटाले के आपराधिक पहलुओं की जांच कर रही है।
ED यह देख रही है कि भर्ती से जुड़ा पैसा कहां गया और किन लोगों ने इसका फायदा उठाया।
इस घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। उनके घर से करोड़ों रुपये नकद और गहने बरामद हुए थे, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें एक केस में जमानत दी, लेकिन वे अब भी अन्य मामलों के कारण जेल से बाहर नहीं आ पाए हैं।
हालिया कानूनी हलचल
सिर्फ विधायक साहा ही नहीं, बल्कि तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं के नाम भी इस घोटाले में सामने आए हैं। बीते हफ्ते एक अदालत ने राज्य मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा को इसी भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 12 सितंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया है। इससे साफ है कि जांच एजेंसियां मामले की परतें खोलने के लिए लगातार सक्रिय हैं।
राजनीतिक असर
यह घोटाला पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है। विपक्ष लगातार इसे राज्य सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार का उदाहरण बताता है। वहीं, तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि यह सब राजनीतिक बदले की कार्रवाई है, जिससे विपक्षी दल माहौल बनाना चाहते हैं।
आगे की राह
ED जब्त किए गए दस्तावेजों और डिजिटल डेटा का विश्लेषण करेगी। अगर इनसे ठोस सबूत मिलते हैं, तो आने वाले दिनों में और नेताओं या अधिकारियों पर शिकंजा कस सकता है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस केस की निगरानी कर रहे हैं, इसलिए आगे की कार्रवाई न्यायिक निर्देशों के तहत तेज़ होने की संभावना है।
