नई दिल्ली/मॉस्को। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत और रूस के बीच आर्थिक सहयोग को और गहराई देने का समय आ गया है। अमेरिका द्वारा हाल ही में टैरिफ़ लगाए जाने के बाद भारत ने संकेत दिए हैं कि वह रूस के साथ अपने व्यापारिक और निवेश संबंधों को और मजबूत करेगा।
मॉस्को में आयोजित बैठकों और कारोबारी मंचों पर बोलते हुए जयशंकर ने रूसी कंपनियों से भारत में निवेश बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों ने विदेशी निवेशकों के लिए बड़े अवसर खोले हैं।
विदेश मंत्री ने खासतौर पर ऊर्जा क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और अन्य ऊर्जा संसाधनों के क्षेत्र में भारत-रूस सहयोग को और गति देने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने रुपया-रूबल भुगतान प्रणाली को सुचारू बनाने और व्यापार असंतुलन को दूर करने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस से कच्चे तेल और ऊर्जा आयात बढ़ने के चलते भारत-रूस व्यापार में असंतुलन आया है, जिसे संतुलित करना दोनों देशों के लिए ज़रूरी है। इसी क्रम में भारत ने रूसी कंपनियों को बुनियादी ढांचा, फार्मा, डिजिटल टेक्नोलॉजी और कृषि जैसे क्षेत्रों में निवेश करने का निमंत्रण दिया है।
रूस की ओर से भी संकेत मिले हैं कि भारतीय उत्पादों और निवेश का स्वागत किया जाएगा। कई रूसी अधिकारियों ने माना कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की संभावना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में भारत और रूस के बीच इस तरह की पहल सिर्फ कूटनीतिक संदेश नहीं है, बल्कि व्यावहारिक आर्थिक कदम भी है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में दोनों देशों के बीच नई व्यापारिक परियोजनाओं और समझौतों की घोषणाएँ हो सकती हैं।
