लोकसभा में हंगामे के बीच पेश हुए तीन अहम विधेयक, संयुक्त संसदीय समिति को भेजे गए

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नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025 — लोकसभा का आज का सत्र राजनीतिक हलचल और तीखी बहस से भरपूर रहा। गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए, जिनका सीधा संबंध प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जवाबदेही से है। जैसे ही ये विधेयक प्रस्तुत हुए, विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया और सरकार पर “दुरुपयोग की संभावना” का आरोप लगाया। आखिरकार, स्थिति को देखते हुए सरकार ने तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का फैसला किया, जिससे अब इन पर गहराई से चर्चा होगी।

तीनों विधेयकों का विवरण

1. संविधान संशोधन विधेयक, 2025

इस प्रस्तावित संशोधन में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री भ्रष्टाचार या गंभीर अपराध के आरोपों में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो उसे अपने पद से हटना होगा। हालांकि, रिहाई के बाद पुनर्नियुक्ति की संभावना भी खुली रखी गई है।

2. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज़ (संशोधन) विधेयक, 2025

यह बिल संघ शासित प्रदेशों में शासन और मंत्रियों की जवाबदेही से संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट करता है। इसका उद्देश्य है कि वही ढांचा, जो केंद्र और राज्यों में लागू होगा, यूटीज़ पर भी समान रूप से लागू हो।

3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025

इस विधेयक के जरिए जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव किया जाएगा। गंभीर अपराध या भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्यमंत्री और मंत्रियों से जुड़े नियमों को और अधिक स्पष्ट और सख्त बनाने का प्रस्ताव रखा गया है।

विपक्ष का विरोध और हंगामा

विपक्षी सांसदों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये प्रावधान “दोष सिद्ध होने से पहले” ही दंड जैसी स्थिति पैदा कर सकते हैं। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस कदम को संविधान की भावना के खिलाफ बताया और जोरदार आपत्ति दर्ज कराई। विपक्ष ने आशंका जताई कि सरकार इस कानून का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर सकती है।

सरकार का रुख

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की चिंताओं को दूर करने का आश्वासन देते हुए कहा कि इन विधेयकों का मकसद शासन में शुचिता और पारदर्शिता लाना है। उन्होंने साफ किया कि तीनों बिलों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाएगा ताकि सभी दलों के सांसद अपनी राय दे सकें और विधेयकों में जरूरी सुधार शामिल किए जा सकें।

आगे की प्रक्रिया

अब JPC इन विधेयकों की धाराओं और प्रभावों का गहन अध्ययन करेगी। समिति विभिन्न पक्षों और विशेषज्ञों से सुझाव लेगी और अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश करेगी। इसके बाद ही सदन में इन पर विस्तृत बहस और मतदान होगा।

अन्य विधायी पहल

इसी दौरान सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग (विनियमन और प्रोत्साहन) विधेयक, 2025 भी पेश किया, जिसमें पैसे से खेले जाने वाले ऑनलाइन खेलों पर प्रतिबंध और उल्लंघन पर दंड का प्रावधान किया गया है। इस बिल को भी आगे की संसदीय प्रक्रिया के तहत जांच और बहस के लिए भेजा जाएगा।

निष्कर्ष

लोकसभा का यह सत्र सरकार और विपक्ष के बीच टकराव का गवाह बना। तीनों विधेयक सत्ता पक्ष के लिए “शासन की शुचिता” का प्रतीक बताए जा रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे “राजनीतिक हथियार” बनने की आशंका जता रहा है। फिलहाल, इन्हें JPC के पास भेजे जाने से यह साफ है कि इन प्रस्तावों पर आगे और गहन बहस होगी।

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