नई दिल्ली, 17 अगस्त 2025 — केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की सिफारिशें हैं, लेकिन ताज़ा हालात इस ओर इशारा कर रहे हैं कि कर्मचारियों को फिलहाल और इंतज़ार करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग की स्थापना को मंजूरी तो दे दी थी, लेकिन अब तक आयोग के Terms of Reference (ToR) और सदस्यों की नियुक्ति को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। यही कारण है कि सिफारिशों को लागू करने की प्रक्रिया फिलहाल अधर में लटकी हुई दिखाई देती है।
सरकार का शुरुआती लक्ष्य था कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू कर दी जाएं। हालांकि, जिस तरह से प्रक्रिया में देरी हो रही है, विशेषज्ञों का मानना है कि आयोग की रिपोर्ट समय पर पूरी होना मुश्किल है। वित्तीय और प्रशासनिक विश्लेषकों के अनुसार, यदि मौजूदा रफ्तार जारी रही तो यह सुधार 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत तक टल सकता है। कुछ रिपोर्ट्स में तो यहां तक कहा जा रहा है कि आयोग की सिफारिशें 2028 तक लागू हो सकती हैं। यह अनिश्चितता ही करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हो रही है।
8वें वेतन आयोग से सीधे तौर पर लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख से अधिक पेंशनर्स प्रभावित होंगे। कर्मचारियों और पेंशनर्स की सबसे बड़ी उम्मीद आयोग द्वारा तय किए जाने वाले फिटमेंट फैक्टर को लेकर है। यही फैक्टर बेसिक सैलरी और पेंशन का ढांचा निर्धारित करता है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था। इस बार अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह 2.8 से 3.0 तक हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो कर्मचारियों और पेंशनर्स की बेसिक सैलरी तथा पेंशन में 25 से 40 प्रतिशत तक बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, यह अभी केवल अनुमान है और अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय और सरकार की मंजूरी पर ही निर्भर करेगा।
कर्मचारियों का मानना है कि अगर फिटमेंट फैक्टर उम्मीद से कम रखा गया, या सरकार कुछ भत्तों को मौजूदा संरचना में समेकित कर दे, तो उनकी नेट टेक-होम सैलरी पर असर पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि वेतन और पेंशन में वृद्धि भले ही हो, लेकिन उतनी नहीं जितनी की उम्मीद की जा रही है। यही वजह है कि कर्मचारियों और यूनियनों के बीच असंतोष का माहौल बन सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक ओर करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स की उम्मीदें हैं, तो दूसरी ओर बढ़ते वित्तीय बोझ से निपटने की कठिनाई। अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे धार्मिक शहरों के विकास, बुनियादी ढांचे की योजनाओं और सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं पर भारी खर्च पहले से ही केंद्र सरकार के बजट पर दबाव बना रहा है। ऐसे में 8वें वेतन आयोग को जल्द लागू करना वित्तीय रूप से आसान नहीं है।
फिलहाल स्थिति यह है कि सरकार ने आयोग की स्थापना तो कर दी है, लेकिन उसका औपचारिक गठन और कार्य शुरू करने की तारीख तय नहीं है। जब तक आयोग अपनी रिपोर्ट सौंपकर सरकार को सिफारिशें नहीं देता, तब तक नए वेतनमान और पेंशन ढांचे पर कोई अंतिम निर्णय संभव नहीं है। कर्मचारियों और पेंशनर्स की निगाहें अब सरकार की अगली अधिसूचना पर टिकी हुई हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कब से प्रभावी होंगी।
निष्कर्ष रूप में कहा जाए तो, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को इस समय धैर्य रखना होगा। भले ही जनवरी 2026 को लक्ष्य तिथि बताया गया है, लेकिन मौजूदा संकेत यही बताते हैं कि उन्हें वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी का लाभ अपेक्षा से देर से मिल सकता है।
