ट्रंप की धमकियों के बीच BRICS देश सतर्क, भारत ने ‘डेडॉलराइजेशन’ पर दी सफाई

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नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025 | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा BRICS देशों को डॉलर को चुनौती देने पर कड़े टैरिफ लगाने की चेतावनी के बाद सदस्य देशों में सतर्कता बढ़ गई है। इस बीच भारत ने स्पष्ट किया है कि उसका एजेंडा ‘डेडॉलराइजेशन’ नहीं, बल्कि BRICS देशों के साथ स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देना है।

भारत का आधिकारिक रुख

विदेश मंत्रालय (MEA) ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि भारत डॉलर की भूमिका पर आपत्ति नहीं करता और BRICS में साझा मुद्रा का कोई ठोस प्रस्ताव एजेंडे में नहीं है। प्रवक्ता ने बताया कि भारत का फोकस स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और भुगतान व्यवस्था को सुदृढ़ करना है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार में जोखिम कम हो और कंपनियों के पास भुगतान के अधिक विकल्प हों।

ट्रंप की चेतावनी और टैरिफ विवाद

ट्रंप ने कई बार बयान देकर कहा है कि BRICS यदि डॉलर को बाईपास करने की कोशिश करता है, तो सदस्य देशों पर भारी टैरिफ लगाए जाएंगे। कुछ बयानों में उन्होंने 100% तक टैरिफ लगाने की बात कही है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत पर टैरिफ बढ़ाकर 50% तक करने की संभावना जताई गई है और आगे भी बढ़ोतरी की चेतावनी दी गई है।

BRICS के भीतर माहौल

ब्राज़ील की अध्यक्षता में BRICS ने क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट सिस्टम पर चर्चा को आगे बढ़ाने की योजना बनाई है, लेकिन साझा मुद्रा पर सहमति नहीं बनी है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने भी कहा है कि BRICS को “एंटी-अमेरिका” के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए।

भारत की रणनीति

भारत की नीति डॉलर का विरोध करने की बजाय व्यापारिक सुविधा पर केंद्रित है। सरकार का प्रयास है कि जहां संभव हो, द्विपक्षीय व्यापार स्थानीय मुद्राओं में हो, जिससे वैश्विक वित्तीय स्थिरता को चुनौती दिए बिना भुगतान व्यवस्था अधिक लचीली बने।

आगे की राह

अमेरिका के टैरिफ संबंधी नए नियमों का औपचारिक स्वरूप और लागू तारीखें महत्वपूर्ण होंगी।

BRICS में स्थानीय मुद्रा सेटलमेंट के लिए क्लीयरिंग, विदेशी मुद्रा लाइनों और जोखिम प्रबंधन पर ठोस प्रगति करनी होगी।

भारत में रुपया सेटलमेंट के लिए बैंकिंग चैनल, अनुपालन और हेजिंग टूल्स का विस्तार जरूरी है।

निष्कर्ष

वैश्विक व्यापार में बढ़ती अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव के बीच भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह डॉलर का विकल्प नहीं बना रहा, बल्कि स्थानीय मुद्राओं में व्यापार के जरिए जोखिम कम करने और व्यापारिक प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर ध्यान दे रहा है।

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