आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, मेनका गांधी और राहुल गांधी ने जताई आपत्ति; गांधी परिवार में दिखी दुर्लभ एकता

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नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025 — दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर डॉग शेल्टर्स में रखने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश ने राजनीति और समाज में बहस को तेज कर दिया है। आदेश के बाद भाजपा सांसद और पशु-अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी तथा विपक्ष के नेता राहुल गांधी दोनों ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दिल्ली-एनसीआर के सभी सार्वजनिक स्थलों से स्ट्रे डॉग्स को निर्धारित समय में हटाकर अधिकृत शेल्टर्स में शिफ्ट किया जाए। साथ ही, स्थानीय निकायों को पर्याप्त शेल्टर, स्टेरिलाइजेशन और टीकाकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। अदालत का तर्क है कि यह कदम डॉग-बाइट और रेबीज़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है।

मेनका गांधी का विरोध

मेनका गांधी ने इस आदेश को “अव्यावहारिक” और “अत्यधिक महंगा” बताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को हटाना न केवल मुश्किल है, बल्कि इससे पर्यावरणीय संतुलन पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि कुत्तों को हटाने से बंदर और चूहों जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी ने कहा कि आवारा कुत्ते समस्या नहीं, बल्कि बेजुबान प्राणी हैं और इनके प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उनके अनुसार, समाधान बड़े पैमाने पर स्टेरिलाइजेशन, टीकाकरण और समुदाय-आधारित देखभाल से निकलेगा, न कि डर के कारण उठाए गए कठोर कदमों से। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी राहुल गांधी के रुख का समर्थन किया।

गांधी परिवार की दुर्लभ एकजुटता

इस मुद्दे पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, वरुण गांधी और मेनका गांधी—चारों ने अदालत के आदेश पर सवाल उठाए। अलग-अलग राजनीतिक दलों में होने के बावजूद, सभी ने मानवीय और वैज्ञानिक समाधान की वकालत की।

कार्यान्वयन में चुनौतियाँ

विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली-एनसीआर में अनुमानित लाखों स्ट्रे डॉग्स को शेल्टर्स में शिफ्ट करना बेहद कठिन होगा, क्योंकि इसके लिए बड़े पैमाने पर संरचना, फंडिंग और कार्यबल की जरूरत पड़ेगी। साथ ही, अचानक स्थानांतरण से स्वास्थ्य जोखिम और आक्रामक व्यवहार जैसी समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।

आगे की राह

दिल्ली सरकार और स्थानीय निकाय शेल्टर नीति और क्रियान्वयन की रणनीति पर विचार कर रहे हैं। पशु-कल्याण संगठनों ने भी इस आदेश के कानूनी और व्यावहारिक पहलुओं पर पुनर्विचार की मांग की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मुद्दे में सार्वजनिक सुरक्षा और पशु-अधिकार—दोनों के बीच संतुलन जरूरी है, जो केवल स्पष्ट नीति, पर्याप्त संसाधन और सामुदायिक भागीदारी से संभव है।

 

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