मतदाता सूची विवाद: राहुल गांधी बनाम चुनाव आयोग, पारदर्शिता को लेकर टकराव

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नई दिल्ली, 10 अगस्त 2025 — कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और चुनाव आयोग (ECI) के बीच मतदाता सूची को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हैं और पारदर्शिता के लिए आयोग को डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करनी चाहिए। वहीं, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए राहुल से अपने दावों को शपथपत्र के जरिए प्रमाणित करने या सार्वजनिक माफी मांगने को कहा है।

राहुल गांधी के आरोप

राहुल गांधी ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ़्रेंस में दावा किया कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में लाखों संदिग्ध और नकली वोटर प्रविष्टियां हैं। उन्होंने कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां 1,00,250 से अधिक ऐसी प्रविष्टियां पाई गईं। राहुल का कहना है कि यदि चुनाव आयोग के पास मशीन-रीडेबल डिजिटल मतदाता सूची है, तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि स्वतंत्र जांच और क्रॉस-चेक संभव हो सके।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से कहा है कि वे अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए एक हस्ताक्षरित शपथनामा प्रस्तुत करें, जिसमें संदिग्ध मतदाताओं की सूची और प्रमाण हों। आयोग का कहना है कि बिना सबूत के ऐसे गंभीर आरोप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यदि राहुल सबूत नहीं दे पाते, तो उनसे माफी की उम्मीद की जा रही है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची पहले से ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, लेकिन डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के कारण मशीन-रीडेबल संस्करण साझा करने पर नियम लागू होते हैं।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस के अन्य नेताओं ने राहुल के दावों का समर्थन किया है और कहा है कि डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक होने से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। दूसरी ओर, भाजपा नेताओं ने राहुल से आग्रह किया है कि वे या तो अपने आरोप साबित करें या फिर जनता को गुमराह करने से बचें।

तकनीकी और कानूनी पहलू

विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक होने से समीक्षा और त्रुटियों की पहचान आसान हो सकती है, लेकिन इसमें व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा, गोपनीयता और दुरुपयोग की आशंका भी जुड़ी है। इस वजह से इसके सार्वजनिक स्वरूप को लेकर कानूनी और तकनीकी चुनौतियां मौजूद हैं।

आगे की संभावना

अब सबकी नजर इस बात पर है कि राहुल गांधी शपथपत्र देकर अपने आरोपों को साबित करेंगे या नहीं। अगर वे प्रमाण प्रस्तुत करते हैं, तो चुनाव आयोग जांच शुरू कर सकता है। अन्यथा, यह मामला केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रह सकता है।

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