नई दिल्ली। पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर (PoK) में हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की कठोर कार्रवाई को लेकर भारत ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इन घटनाओं को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि पाकिस्तान को इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाए। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि PoK पर पाकिस्तान का कब्जा न केवल अवैध है बल्कि वहां की जनता को लगातार दमन और शोषण का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार PoK के कई इलाकों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जिनमें नागरिक महंगाई, बेरोजगारी और राजनीतिक अधिकारों की कमी को लेकर सड़कों पर उतरे। इस दौरान सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। हालात काबू में करने के लिए पाकिस्तानी सेना और अर्धसैनिक बलों ने लाठीचार्ज, आंसू गैस और गोलियां तक चलाईं। इसमें कई लोगों के घायल होने और कुछ की मौत होने की खबरें सामने आईं। सोशल मीडिया और स्थानीय चैनलों पर आए वीडियो ने इन घटनाओं की पुष्टि की, जिसमें सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई बर्बर कार्रवाई साफ दिखाई दी।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि वहां की जनता के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है, वह न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है बल्कि यह पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों की पोल भी खोलता है। MEA प्रवक्ता ने कहा कि भारत बार-बार यह मुद्दा उठाता रहा है कि पाकिस्तान द्वारा PoK पर किया गया नियंत्रण अवैध और जबरन है, और अब वहां के हालात अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने इसका प्रमाण हैं।
दूसरी ओर, पाकिस्तानी प्रशासन की ओर से हालात को संभालने के लिए बयान दिए गए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सुरक्षाबलों की कठोर कार्रवाई और आम जनता पर बल प्रयोग की घटनाएं लगातार जारी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि PoK में बढ़ती अशांति न केवल पाकिस्तान के आंतरिक संकट को उजागर करती है बल्कि पूरे क्षेत्रीय सुरक्षा माहौल को भी अस्थिर करती है।
मानवाधिकार संगठनों ने भी लंबे समय से PoK में नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक अधिकारों की कमी पर चिंता जताई है। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में बार-बार कहा गया है कि पाकिस्तान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाता है, असहमति की आवाज़ों को कुचलता है और नागरिक समाज पर कार्रवाई करता है। ऐसे में हालिया घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, बल्कि उसी नीति की निरंतरता हैं, जिसने क्षेत्र को अस्थिर बना रखा है।
भारत ने अब वैश्विक मंच पर इस मुद्दे को और मजबूती से उठाने का संकेत दिया है। MEA का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बिना पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करेगा। विश्लेषकों का कहना है कि स्वतंत्र जांच, पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भागीदारी ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
