करूर भगदड़ पर SIT जांच: मद्रास हाईकोर्ट ने आयोजकों और पुलिस से मांगा जवाब

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

तमिलनाडु के करूर जिले में 27 सितंबर 2025 को अभिनेता-से-राजनीतिज्ञ बने विजय की पार्टी तमिलागा वेற்றி कज़गम (TVK) की रैली के दौरान हुई भगदड़ ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। इस दर्दनाक हादसे में कम से कम 41 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रैली स्थल पर भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मंच और बैरिकेड्स पर नियंत्रण खो गया। जैसे ही विजय के आगमन में देर हुई, भीड़ अचानक एक ओर झुकी और धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कई लोग गिर पड़े और कुचले गए, जिससे अफरा-तफरी मच गई।

इस घटना के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने का आदेश दिया। यह टीम वरिष्ठ पुलिस अधिकारी असरा गर्ग की अगुवाई में कार्य करेगी और पूरी घटना की गहन जांच करेगी। अदालत ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग को फिलहाल खारिज कर दिया है, लेकिन राज्य सरकार और TVK पार्टी को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। साथ ही अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक भीड़ प्रबंधन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार नहीं हो जाती, तब तक राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के पास किसी भी राजनीतिक रैली या सभा की अनुमति न दी जाए।

घटना की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि रैली स्थल पर भीड़ नियंत्रण की उचित व्यवस्था नहीं की गई थी। सुरक्षा इंतजामों की कमी और आयोजकों की लापरवाही ने स्थिति को और भयावह बना दिया। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। साथ ही TVK के कुछ वरिष्ठ नेताओं — ब्यासी आनंद और सी.टी.आर. निर्मल कुमार — की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं। कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पूछताछ भी की जा रही है। SIT अब साक्ष्य इकट्ठा करने, वीडियो-ऑडियो फुटेज की जांच करने और प्रशासनिक अनुमति से जुड़े पहलुओं को खंगालने पर ध्यान देगी।

मृतकों के परिजनों को सांत्वना देते हुए विजय और उनकी पार्टी ने प्रत्येक मृतक परिवार के लिए 20 लाख रुपये और घायलों के लिए 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। राज्य सरकार ने भी पीड़ित परिवारों को मुआवजा और त्वरित राहत उपलब्ध कराने की बात कही है। स्वास्थ्य विभाग ने करूर और आसपास के जिलों से मेडिकल टीमें भेजकर घायलों का इलाज कराया।

यह घटना अब सिर्फ एक दुर्घटना भर नहीं रही, बल्कि राज्य की राजनीति और प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक सभाओं में भीड़ प्रबंधन की कमी, पुलिस की जवाबदेही और आयोजकों की जिम्मेदारी जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने अदालत से मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश तय किए जाएं और लापरवाही करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

हाईकोर्ट द्वारा SIT जांच का आदेश इस बात की ओर संकेत है कि अदालत इस मामले को हल्के में नहीं ले रही। आने वाले दिनों में SIT की रिपोर्ट और राज्य सरकार की कार्रवाइयाँ यह तय करेंगी कि इस भीषण त्रासदी के लिए कौन जिम्मेदार था और पीड़ितों को किस हद तक न्याय मिल पाता है।

Leave a Comment

और पढ़ें