लद्दाख में हाल ही में छठे शेड्यूल और विशेष दर्जे की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन के बीच सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। डीजीपी और प्रशासन की ओर से वांगचुक के खिलाफ विदेशी फंडिंग, पाकिस्तान से संपर्क और आंदोलन को भड़काने जैसे दावे सामने आए, जिनके आधार पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया। इन घटनाओं ने पूरे देश में बहस को तेज कर दिया है। इसी बीच वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. एंगमो ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सरकार और प्रशासन पर साजिश रचने का आरोप लगाया है।
गीतांजलि ने मीडिया से बातचीत में कहा कि डीजीपी के बयान और लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और मनगढ़ंत हैं। उनके अनुसार, यह पूरा घटनाक्रम सरकार द्वारा तैयार की गई साजिश का हिस्सा है ताकि लद्दाख की जनता की आवाज और उनकी मांगों को दबाया जा सके। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी व्यक्ति द्वारा जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे विषयों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लेना देशद्रोह कहलाता है? गीतांजलि ने बताया कि सोनम वांगचुक और उनकी संस्थाएं (SECMOL और HIAL) वर्षों से ग्रामीण विकास, जलवायु संरक्षण और सैन्य सहयोग से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं और इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिला है। ऐसे में अचानक उन्हें देशविरोधी ठहराना समझ से परे है।
गीतांजलि ने आगे कहा कि वांगचुक और उनकी संस्थाओं ने अतीत में सीबीआई और आयकर विभाग को सभी जरूरी दस्तावेज दिए हैं, बावजूद इसके प्रशासन बार-बार पुराने मुद्दों को उछालकर गलत नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों को खुली बहस और पारदर्शी जांच की चुनौती दी और कहा कि यदि सरकार के पास कोई ठोस सबूत है तो उसे सार्वजनिक किया जाए।
इस पूरे विवाद में सोशल मीडिया पर भी भ्रम फैल गया है। हाल ही में डीजीपी का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वांगचुक पर गंभीर आरोप लगाए गए थे, लेकिन प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) और फैक्ट-चेक एजेंसियों ने इसे मनगढ़ंत करार दिया। यह तथ्य सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर फैली सूचनाओं पर सवाल उठने लगे हैं।
स्थानीय स्तर पर हालिया घटनाओं के दौरान हुए टकराव में चार लोगों की मौत और कई के घायल होने के बाद प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी। इसके बाद वांगचुक पर लगे आरोपों ने माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया। वहीं, विपक्षी दलों, मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समाज ने प्रशासनिक कार्रवाई को ‘विचहंट’ बताते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग उठाई है।
गीतांजलि के इन बयानों ने न केवल वांगचुक की गिरफ्तारी पर चल रही बहस को और तेज कर दिया है बल्कि लद्दाख के आंदोलन और सरकार की नीतियों पर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस मामले में किस तरह का रुख अपनाता है और क्या वांगचुक के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच पारदर्शिता के साथ सामने आती है या नहीं।
