1600 लोग हिंसा में शामिल, 55 कॉल की साजिश उजागर; नदीम खां और अन्य की तलाश जारी

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बरेली में हाल ही में हुई हिंसा ने पूरे उत्तर प्रदेश को हिला दिया है और इसके पीछे की साजिश अब पूरी तरह से उजागर हो गई है। जांच में सामने आया कि इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के पूर्व जिलाध्यक्ष नदीम खां ने 55 व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से लगभग 1600 उपद्रवियों को एकजुट किया। इन उपद्रवियों ने बच्चों और युवाओं को आगे करके पुलिस को भ्रमित करने की रणनीति अपनाई। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, यह पूरी योजना बड़ी ही सुनियोजित और विस्तृत थी, जिसमें हिंसा फैलाने और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करने का स्पष्ट मकसद था।

26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद हिंसा भड़क उठी। भीड़ ने ‘आई लव मोहम्मद’ के पोस्टर लेकर सड़कों पर प्रदर्शन शुरू किया और इस्लामिया ग्राउंड की ओर बढ़ने की कोशिश की। पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई की, जिसमें लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान 22 पुलिसकर्मी और कई प्रदर्शनकारी घायल हुए। हिंसा की इस जटिल स्थिति ने शहर में तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया और स्थानीय प्रशासन को तुरंत नियंत्रण स्थापित करने के लिए कदम उठाने पड़े।

हिंसा के बाद पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा समेत आठ प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया। इनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा, इस हिंसा से जुड़े लगभग 10 अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें करीब 2000 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि इन मुकदमों और गिरफ्तारियों से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि ऐसे हिंसक और समाज विरोधी कार्यों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए प्रशासन ने बरेली जिले में मोबाइल इंटरनेट सेवा अस्थायी रूप से बंद कर दी और अफवाहों को रोकने के लिए विशेष निगरानी की व्यवस्था की गई। पुलिस उपद्रवियों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज और सोशल मीडिया सामग्री का विश्लेषण कर रही है। वहीं नदीम खां अभी भी फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बरेली हिंसा जैसी घटनाएं स्थानीय समुदायों के बीच तनाव और असुरक्षा की भावना को बढ़ाती हैं। अधिकारियों ने नागरिकों से शांति बनाए रखने, अफवाहों पर विश्वास न करने और पुलिस एवं प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है। इस पूरी घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि किसी भी तरह की भड़काऊ सामग्री, सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने और साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशों पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

जांच में अब यह भी सामने आया है कि हिंसा की योजना पहले से बनाई गई थी और इसमें कई स्थानीय और बाहरी तत्व शामिल थे। नदीम खां और अन्य संदिग्धों की गिरफ्तारी, साथ ही पुलिस और प्रशासन की सक्रिय निगरानी, बरेली में शांति बहाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। शहर के लोग अब प्रशासन से उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही हिंसा में शामिल सभी दोषियों को कानून के कटघरे में लाया जाएगा।

बरेली में हुई यह हिंसा केवल एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह समाज में असंतोष और कट्टरता फैलाने की कोशिश का प्रतीक है। प्रशासन, पुलिस और समुदाय की सतर्कता से ही ऐसे कृत्यों को नियंत्रित किया जा सकता है। फिलहाल, स्थिति पर कड़ी निगरानी जारी है और सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है।

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