भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान, जिसने 1963 से 2025 तक देश की हवाई शक्ति का प्रतीक बने रहते हुए कई महत्वपूर्ण युद्धों और अभियानों में अहम भूमिका निभाई, आज आधिकारिक रूप से सेवा से विदा हो गया। सोवियत संघ द्वारा निर्मित मिग-21 भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद इसने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में अपने अद्वितीय प्रदर्शन से दुश्मनों के लिए भय का कारण बना। इसकी गति और आक्रामकता ने युद्ध के मैदान में इसे एक गेमचेंजर बना दिया।
हालांकि मिग-21 ने वीरता दिखाई, लेकिन समय के साथ इसकी तकनीकी पुरातनता, रखरखाव की चुनौतियां और कई दुर्घटनाओं के कारण इसे ‘उड़ता ताबूत’ की उपाधि भी मिली। इसके बावजूद, यह विमान भारतीय वायुसेना में अपनी अहम जगह बनाए रखने में सफल रहा। मिग-21 ने 1999 के कारगिल युद्ध और 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में भी हिस्सा लिया। विशेष रूप से, ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तानी F-16 विमान को मार गिराया, जो भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक यादगार पल रहा।
मिग-21 की विदाई समारोह चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित की गई, जिसमें एयर चीफ मार्शल एपी सिंह समेत छह पूर्व वायुसेना प्रमुख शामिल हुए। इस समारोह में स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा ने मिग-21 उड़ाकर इस ऐतिहासिक पल को यादगार बनाया। मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस Mk1A और राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान लेंगे, जो बेहतर तकनीकी क्षमताओं और सुरक्षा सुविधाओं से लैस हैं। मिग-21 की विदाई भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसकी वीरता और योगदान हमेशा भारतीय वायुसेना के इतिहास में याद रखा जाएगा।
