रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायकों से मुलाकात की और उनकी वीरता को सलाम किया। उन्होंने कहा कि “टैंकों में गुजारी रातें और शहीदों की यादें” आज भी इन जांबाजों के दिलों में जीवित हैं। उनकी शहादत ने देश की शान को बुलंद किया है। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत ने पड़ोसियों से मिली मुश्किलों को कभी अपनी किस्मत नहीं माना, बल्कि अपनी तकदीर खुद बनाई। 1965 की जंग हो या हाल का ऑपरेशन सिंदूर, भारत ने हर बार दुश्मनों को करारा जवाब दिया।
रक्षा मंत्री ने परमवीर चक्र विजेता हवलदार अब्दुल हमीद की बहादुरी को याद करते हुए कहा कि बहादुरी हथियारों के आकार से नहीं, बल्कि दिल के हौसले से आती है। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के निर्णायक फैसलों की भी सराहना की, जिन्होंने युद्ध के दौरान देश का मार्गदर्शन किया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कटियार ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लद्दाख से लेकर राजस्थान तक हमारी पश्चिमी कमान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन जिब्राल्टर के तहत पाकिस्तान की घुसपैठ को नाकाम किया गया और लाहौर व सियालकोट की ओर बढ़कर दुश्मन को करारा जवाब दिया। 1965 के युद्ध ने हमें महान आदर्श दिए और ऑपरेशन सिंदूर में भी हमने दुश्मन को करारी शिकस्त दी।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता; यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक प्रयास होता है। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता से किसी तरह का समझौता नहीं होने की बात दोहराई और कहा कि हमारी फौज और देश का जज्बा हर चुनौती को मात देगा।
