अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सितंबर 2025 को न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में वैश्विक मुद्दों पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने विशेष रूप से यूरोपीय देशों की आव्रजन और ऊर्जा नीतियों, यूक्रेन युद्ध और संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली की आलोचना की।
यूरोपीय देशों पर हमला
ट्रंप ने यूरोपीय देशों की आव्रजन नीतियों को “विफल प्रयोग” बताते हुए कहा, “आपके देश बर्बाद हो रहे हैं। खुले दरवाजों की नीति को तुरंत बंद किया जाना चाहिए।” उन्होंने लंदन के मेयर सदीक खान पर भी निशाना साधा और कहा कि वह ‘शरिया कानून लागू करने की कोशिश’ कर रहे हैं। ट्रंप ने यूरोपीय देशों को आर्थिक और सामाजिक संकट की चेतावनी दी और आव्रजन नीति बदलने की मांग की।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा नीतियों पर विवाद
ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन को ‘सबसे बड़ा धोखा’ बताते हुए इसे एक ‘कॉन जॉब’ करार दिया। उनका कहना था कि नवीकरणीय ऊर्जा नीतियां विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं, जबकि प्रदूषण फैलाने वाले देशों को लाभ हो रहा है। उन्होंने वैश्विक ऊर्जा नीति में रूस से ऊर्जा खरीद और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर कई देशों के प्रभाव पर भी सवाल उठाए।
संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली पर सवाल
ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि यूएन केवल मजबूत शब्दों वाले बयान जारी करता है, लेकिन वास्तविक कार्रवाई नहीं करता। उन्होंने दावा किया कि अपने कार्यकाल में उन्होंने सात युद्धों को समाप्त किया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने उनका समर्थन नहीं किया।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर टिप्पणी
ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध के लिए नाटो देशों की आलोचना की और कहा कि रूस से ऊर्जा खरीदने वाले देशों को तुरंत अपने सौदे रोकने चाहिए। उनका तर्क था कि अन्यथा वैश्विक समय और संसाधन बर्बाद हो रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से भारत और चीन को भी इस संदर्भ में आलोचना के दायरे में रखा।
संयुक्त राष्ट्र के प्रति द्विपक्षीय दृष्टिकोण
हालांकि ट्रंप ने यूएन की आलोचना की, उन्होंने महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ बैठक में परमाणु और जैविक हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की झलक
ट्रंप के इस भाषण में उनकी आक्रामक विदेश नीति और ‘अमेरिका फर्स्ट’ दृष्टिकोण साफ नजर आया। उनकी टिप्पणियों ने कई देशों और नेताओं में बहस को जन्म दिया, जबकि कुछ ने इसे उनके स्पष्ट नेतृत्व और नीति निर्धारण की क्षमता के रूप में देखा।
