केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में अपने आधिकारिक कार्यों में बड़ा बदलाव करते हुए स्वदेशी सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म Zoho को अपनाने का ऐलान किया है। मंत्री ने नागरिकों और संस्थाओं से भी अपील की है कि वे विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करें और घरेलू तकनीक को प्राथमिकता दें। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि हम स्वदेशी तकनीकी समाधानों को अपनाएँ।
Zoho क्या है?
Zoho Corporation एक भारतीय सॉफ़्टवेयर कंपनी है जिसका मुख्यालय चेन्नई में स्थित है। यह कंपनी क्लाउड-आधारित ऑफिस-सुइट और व्यावसायिक ऐप्स के लिए जानी जाती है। इसके उत्पादों में ईमेल, डॉक्यूमेंट एडिटिंग, स्प्रेडशीट, प्रेज़ेंटेशन टूल्स, CRM, अकाउंटिंग, एचआर और सहयोग से जुड़े अनेक एप्लिकेशन शामिल हैं। Zoho ने वर्षों से लाखों उपयोगकर्ताओं को सेवाएँ दी हैं और आज यह भारत की अग्रणी SaaS (Software-as-a-Service) कंपनियों में गिनी जाती है। कंपनी के संस्थापक श्रीधर वेम्बू लंबे समय से भारत में तकनीकी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की वकालत करते रहे हैं।
सरकार और उद्योग जगत पर असर
अश्विनी वैष्णव के इस कदम को न केवल प्रतीकात्मक बल्कि व्यवहारिक भी माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकारी संस्थाएँ और बड़े कारोबारी संगठन Zoho जैसे स्वदेशी सॉफ़्टवेयर को अपनाएँगे तो इससे डेटा-लोकलाइजेशन, सुरक्षा और लागत-प्रबंधन में मदद मिलेगी। साथ ही भारतीय SaaS कंपनियों की विश्वसनीयता भी वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगी। हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस बदलाव के लिए माइग्रेशन-लागत, इंटीग्रेशन और प्रशिक्षण जैसी चुनौतियों से निपटना होगा।
Zoho की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने मंत्री के इस निर्णय का स्वागत किया और इसे घरेलू तकनीक के प्रति बढ़ते विश्वास का प्रतीक बताया। उनका कहना है कि स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से न केवल भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी बल्कि देश में अनुसंधान और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
कुल मिलाकर, अश्विनी वैष्णव का यह कदम “डिजिटल इंडिया” और “मेक-इन-इंडिया” अभियानों को गति देने के साथ-साथ विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है। यदि इस सोच को व्यापक स्तर पर अपनाया जाता है तो भारतीय सॉफ़्टवेयर उद्योग को वैश्विक मंच पर नई पहचान और मजबूती मिल सकती है।
