अमित शाह: ‘2047 का विजन तभी सफल जब देश हो नशामुक्त’, युवाओं पर दिया जोर

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 सितंबर 2025 को दिल्ली में आयोजित एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) की राष्ट्रीय सम्मेलन में देश को 2047 तक नशामुक्त बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को दोहराया। उन्होंने कहा कि जब तक देश की युवा पीढ़ी नशे के जाल में फंसी रहेगी, तब तक यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता।

शाह ने अपने संबोधन में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को हर क्षेत्र में नंबर वन और पूरी तरह विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए हमारी युवा पीढ़ी सबसे बड़ी उम्मीद है। यदि वे संकल्पित हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। वे किसी भी राष्ट्र की नींव होते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि ड्रग्स के कारोबार से जुड़ी मुख्य तीन श्रेणियां—सीमा पर तस्करी, राज्य स्तर पर वितरण और छोटे दुकानों या स्टॉल्स के माध्यम से बिक्री—पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।

गृह मंत्री ने सम्मेलन में मोदी सरकार की नशे के खिलाफ रणनीति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सरकार नशे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है और भारत में नारकोटिक्स के व्यापार को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। शाह ने यह भी जानकारी दी कि 2014 से 2025 तक 69.61 लाख से अधिक आरोपी ड्रग्स से संबंधित मामलों में गिरफ्तार किए गए हैं।

सम्मेलन में अमित शाह ने ‘ऑनलाइन ड्रग डिस्पोजल अभियान’ की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य नशे की अवैध सामग्री को सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से नष्ट करना है, ताकि ड्रग्स के अवशेषों के पुनः उपयोग की संभावना समाप्त हो सके।

सम्मेलन में ड्रग्स की तस्करी, सिंथेटिक ड्रग्स, डार्क वेब के माध्यम से व्यापार, और भगोड़े आरोपियों की गिरफ्तारी जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा की गई। इसमें 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स के प्रमुखों ने भाग लिया।

अमित शाह ने सम्मेलन के अंत में जोर देकर कहा कि भारत को 2047 तक नशामुक्त बनाने के लिए सभी नागरिकों को एकजुट होकर काम करना होगा। यह केवल सरकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग की जिम्मेदारी है। यदि सभी मिलकर काम करें, तो यह लक्ष्य निश्चित रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि नशे के खिलाफ लड़ाई केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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