काठमांडू। नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ उठे जनविरोध ने बड़ा रूप ले लिया है। सरकार द्वारा फेसबुक, यूट्यूब और X (पूर्व में ट्विटर) सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के बाद राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हजारों युवा, छात्र और पत्रकार उतर आए। विरोध इतना बढ़ गया कि प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर तक पहुँच गए और सुरक्षा बैरिकेड तोड़ दिए। हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस, रबर की गोलियां और यहाँ तक कि गोलीबारी का सहारा लिया। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन लोग घायल हो गए।
सरकार का कहना है कि प्रतिबंध इसलिए लगाया गया क्योंकि कई सोशल मीडिया कंपनियों ने नेपाल में पंजीकरण और स्थानीय नियमों का पालन नहीं किया था। अधिकारियों का तर्क है कि यह कदम झूठी खबरों, साइबर धोखाधड़ी और नफरत फैलाने वाले कंटेंट को रोकने के लिए उठाया गया। लेकिन जनता, खासकर युवा वर्ग और मीडिया संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला करार दिया है।
प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने संसद भवन की ओर मार्च करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। ‘‘सोशल मीडिया बंद नहीं — भ्रष्टाचार बंद करो’’ जैसे नारों से राजधानी की गलियाँ गूँज उठीं। कई स्थानों पर भीड़ ने पुलिस की रोकथाम तोड़ दी, जिसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि संसद भवन के बाहर गोलीबारी भी हुई, जिससे एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। घायलों में पत्रकार भी शामिल हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने काठमांडू और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया। सड़कों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। वहीं, मानवाधिकार संगठनों और मीडिया समूहों ने सरकार की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। फेडरेशन ऑफ नेपली जर्नलिस्ट्स ने कहा है कि यह निर्णय प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद ने हालांकि अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि ‘‘यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए जरूरी था’’। विपक्षी दल और अधिकार कार्यकर्ता इसे तानाशाही रवैया बता रहे हैं और सरकार से तुरंत सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग कर रहे हैं।
नेपाल में इस बैन ने न केवल राजनीतिक संकट को जन्म दिया है बल्कि सामाजिक असंतोष भी बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे कदम से जनता और सरकार के बीच टकराव और गहराएगा। फिलहाल राजधानी तनाव और भय के माहौल में है, जबकि इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में गुस्सा और असंतोष लगातार बढ़ रहा है।
