भारत की अर्थव्यवस्था के दो बड़े स्तंभ – कृषि और छोटे उद्यम (MSMEs) – अब केंद्र सरकार की नई नीतियों और कर ढाँचे में बदलाव से मजबूती की ओर बढ़ते नज़र आ रहे हैं। हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक और कृषि क्षेत्र को लेकर घोषित योजनाओं ने यह संकेत दे दिया है कि आने वाले वर्षों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और छोटे व्यवसाय देश के विकास के मुख्य केंद्र बनने वाले हैं।
जीएसटी सुधार से छोटे कारोबार को सहारा
जीएसटी ढाँचे को सरल बनाने और दरों को तर्कसंगत करने का निर्णय छोटे उद्यमों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए राहत लेकर आया है। कई दैनिक उपयोग और खाद्य वस्तुओं पर कर दरें घटाई गई हैं, जिससे उनकी कीमतों में कमी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से ग्रामीण और शहरी दोनों स्तरों पर खपत बढ़ेगी, जिससे स्थानीय बाजारों और छोटे उद्योगों की बिक्री में तेजी आएगी।
सरकार का तर्क है कि सरल और कम दरों वाला कर ढाँचा अनुपालन के बोझ को कम करेगा और छोटे कारोबारों को संगठित अर्थव्यवस्था से जोड़ने में मदद करेगा। नई दरें 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी, जिसके बाद उपभोक्ता-स्तर पर मांग में वृद्धि का सीधा असर छोटे प्रोसेसिंग यूनिट, पैकर्स और खुदरा कारोबारियों पर पड़ेगा।
कृषि-इन्फ्रास्ट्रक्चर को मिलेगा प्रोत्साहन
केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा देने के लिए कोल्ड-चेन, पैक-हाउस और प्रोसेसिंग इकाइयों में निवेश को बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) और अन्य प्रावधानों के तहत किसानों को पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस घटाने के लिए आधुनिक भंडारण और प्रसंस्करण सुविधाओं की मदद दी जा रही है।
इन सुविधाओं से किसानों की फसल को बाज़ार तक सुरक्षित पहुँचाने और बेहतर कीमत दिलाने का रास्ता साफ होगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग इकाइयों और भंडारण केंद्रों की स्थापना से छोटे उद्योगों के लिए लगातार कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
किसानों को प्रत्यक्ष आय और ग्रामीण क्रय-शक्ति में वृद्धि
सरकार ने किसानों के लिए नकद सहयोग योजनाओं को भी मज़बूत किया है। PM-KISAN जैसी योजनाओं के तहत किसानों को सीधे सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इससे उनकी आय बढ़ रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में क्रय-शक्ति भी तेज़ी से बढ़ रही है। नतीजतन, स्थानीय बाज़ारों में मांग बढ़ेगी और इससे जुड़े छोटे कारोबारों को लाभ मिलेगा।
तकनीकी सहायता और महिला उद्यमिता
कृषि क्षेत्र में तकनीक को शामिल करने के लिए सरकार ने विशेष रूप से महिला स्वयं-सहायता समूहों (SHGs) को ड्रोन उपलब्ध कराने की योजना शुरू की है। इससे महिलाएँ कृषि सेवाओं की प्रदाता बनकर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगी। किसान भी ड्रोन की मदद से सस्ती और आधुनिक सेवाएँ पा सकेंगे।
यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में नया उद्यमिता मॉडल तैयार करेगा और छोटे उद्योगों को नई सेवाओं और रोजगार सृजन का अवसर देगा।
लाभ और चुनौतियाँ
नई नीतियों से कृषि और छोटे उद्योगों दोनों को व्यापक लाभ मिलने की संभावना है।
किसानों को बेहतर मूल्य और फसल की बर्बादी कम होगी।
ग्रामीण बाज़ारों और खुदरा विक्रेताओं की बिक्री बढ़ेगी।
महिला समूहों और स्थानीय उद्यमियों को नए व्यवसायिक अवसर मिलेंगे।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इन योजनाओं की सफलता के लिए सही क्रियान्वयन, आसान कर्ज़ सुविधा, प्रशिक्षण और बाज़ार से जुड़ाव बेहद ज़रूरी है।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार का यह समेकित प्रयास — जीएसटी सुधार, कृषि-इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रत्यक्ष आय सहयोग और तकनीकी समावेशन — अगर पूरी तरह लागू हुआ तो न केवल किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को गति मिलेगी, बल्कि छोटे उद्यम भी भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास-यात्रा में केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।
